नई दिल्ली: IMA: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( IMA) ने जुलाई-अगस्त में होने वाली कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने की मांग की है। IMA ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस यात्रा पर रोक लगाने की मांग रखी है। कोरोना का कहर लगातार जारी है इसी को ध्यान में रखते हुए IMA ने इसे रद्द करने की आवाज उठाई है। कोरोना की स्थिती को देखते हुए IMA के राज्य सचिव डॉक्टर अजय खन्ना ने सीएम को पत्र लिखा है।
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IMA: डॉक्टर अजय खन्ना ने सीएम को पत्र लिखा
IMA ने अपने पत्र में लिखा है कि तीसरी लहर देश में आने वाली है। कोरोना की पहली लहर के बाद कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया जिसके चलते कोरोना की दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचाही थी।
कांवड़ यात्रा को श्री राम ने शुरू किया
ऐसा भी माना जाता है कि भगवान राम पहले कांवड़िया थे। कहते हैं श्री राम ने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल लाकर बाबाधाम के शिवलिंग का जलाभिषेक किया था।
कांवड़ का महत्व
पुराणों के अनुसार इस यात्रा शुरुआत समुद्र मंथन के समय हुई थी। मंथन से निकले विष को पीने की वजह से शिव जी का कंठ नीला पड़ गया था और तब से वह नीलकंठ कहलाए। इसी के साथ विष का बुरा असर भी शिव पर पड़ा. विष के प्रभाव को दूर करने के लिए शिवभक्त रावण ने तप किया। इसके बाद दशानन कांवड़ में जल भरकर लाया और पुरा महादेव में शिवजी का जलाभिषेक किया इसके बाद शिव जी विष के प्रभाव से मुक्त हुए कहते हैं तभी से कांवड़ यात्रा शुरू हुई।
सावन में शुरू होती है कांवड़ यात्रा
आपको बता दें कि लगभग एक पखवाड़े तक चलने वाली कांवड़ यात्रा सावन महीने की शुरुआत से लेकर तकरीबन 15 दिन तक चलती है। जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लाखों कांवड़िए गंगा का पवित्र जल लेने के लिए हरिद्वार में जमा होते हैं।