नई दिल्ली : देशभर में कोरोना जैसी फैलती महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार ने पूरे देश को लॉकडाउन किया हुआ हैं यह लॉकडाउन भारत में पहली बार 22 मार्च को किया गया था जिसके बाद से लोगों की दिनचर्या वाली जिंदगी पर विराम लग गया उसके साथ ही देश के सभी तीर्थ स्थल भी बंद पड़े हैं।
वहीं इस बीच सबसे ज्यादा परेशानी हो रही हैं तो वो हैं मजदूर क्योंकि रोज कमाने खाने वाला व्यक्ति इस लॉकडाउन में बेबस हो गया और अब तो नॉकरी करने वाले लोगों की नॉकरी पर बात बन आई हैं अधिकतर काम धंधे बंद हैं सिर्फ इक्का – दुक्का ही चालू हैं जिनको इजाजत हैं काम करने के लिए।
ऐसे में बात करें मंदिरों की तो इस समय श्रद्धालुओं-दानदाताओं का चढ़ावा आना लगभग बंद है (IndiaTempleDonation) सभी मंदिरों को अपने जमा पूंजी के सहारे ही संचालन करना पड़ रहा है। बता दें देश में सबसे अधिक संपत्ति वाले केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर में हर महीने करीब तीन करोड़ का चढ़ावा आता हैं तो इस लॉकडाउन के बीच सिर्फ 25 हजार रुपये दान खाते में आए हैं।
शिरडी का साई बाबा मंदिर
वहीं साई बाबा मंदिर ट्रस्ट की सालाना आय 700 करोड़ रुपए है इस बीच ऑनलाइन मंदिरों में आने वाला दान भी बहुत कम है और काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए ट्रस्ट अपनी एफडी तुड़वाकर लोगों को वेतन दे रहा है।
तिरुपति के वेंकटेश्वर बालाजी
तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी देवस्थानम को हर माह करीब 200 करोड़ रु दान आता था इन दो महीनों में मंदिर को 400 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है इस बीच वहां पर काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देने में मुशिकलें हो रही हैं वहां करीब 22 हजार कर्मचारी काम करते हैं उन पर हर महीने 110 करोड़ रुपए का खर्च आता है।
माता वैष्णो देवी, कटरा
माता वैष्णो देवी मंदिर में 25 से 30 करोड़ रुपए दान हर महीने आता है लॉक डाउन के दौरान मंदिर में कॉफी कम चढ़ावा आया हैं और जिसकी वजह से मंदिर में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन देने में काफी मुशिकलें हो रही हैं मंदिर में करीब 3 हजार कर्मचारी काम करते हैं उनके वेतन का का कुल खर्च 13 करोड़ रुपए है वहीं वेतन देने के लिए मंदिर जमा पूंजी से दे रहा हैं।