नई दिल्ली : Indira Hridayesh: कांग्रेस की दिग्गज नेता और उत्तराखंड नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का आज दिल्ली के उत्तराखंड सदन में निधन हो गया। उनके निधन के बाद कांग्रेस में शोक-संवेदनाओं का दौर शुरू हो गया है। गौरतलब है कि इंदिरा के निधन को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी निजी क्षति बताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि अभी-अभी कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डॉक्टर इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुःखद समाचार मिलकर मन अत्यंत दुखी है। इन्दिरा बहिन ने अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में कई पदों को शोभित किया और विधायिका के कार्य में पारंगत हासिल की। बहिन जी का जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है।
मैं दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ और परमपिता परमेश्वर से विनती करता हूँ कि वो इन्दिरा बहिन जी की आत्मा को अपने श्री-चरणों में स्थान दें। दुख की इस कठिन घड़ी में मेरी संवेदनाएँ @SumitHridayesh एवं समस्त परिवार के साथ हैं। ॐ शान्ति शान्ति शान्ति।
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) June 13, 2021
उन्होंने आगे लिखते हुए कही कि, मैं दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ और परमपिता परमेश्वर से विनती करता हूँ कि वो इन्दिरा बहिन जी की आत्मा को अपने श्री-चरणों में स्थान दें। दुख की इस कठिन घड़ी में मेरी संवेदनाएँ सुमित एवं समस्त परिवार के साथ हैं। ॐ शान्ति शान्ति शान्ति।
बता दें मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश की मृत्यु हार्ट अटैक के चलते हुआ है। गोरतलब है कि दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में भाग लेने के लिए वह शनिवार को राजधानी पहुंची थीं और आज उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर 303 में उनकी हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। उनके शव को उत्तराखंड ले जाने की तैयारी हो रही है।
साथ ही इंदिरा हृदयेश की मृत्यु पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट करके दुख जताया ।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहीं इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उन्हें सत्ता पक्ष की तरफ से सम्मान मिलता था।
उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी की एक मज़बूत कड़ी, डॉ इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुखद समाचार मिला। वे अंत तक जन सेवा एवं कांग्रेस परिवार के लिए कार्यरत रहीं। उनके सामाजिक व राजनीतिक योगदान प्रेरणास्रोत हैं।
उनके प्रियजनों को शोक संवेदनाएँ। pic.twitter.com/b8KmeSCoqw
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 13, 2021
उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहीं इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उन्हें सत्ता पक्ष की तरफ से बेहद सम्मान मिलता था।
‘आयरन लेडी’ के नाम से जानी जाती थी इंदिरा हृदयेश, जो कह दिया वो पत्थर की लकीर !
Indira Hridayesh: इंदिरा हृदयेश की जीवनशैली
डॉक्टर इंदिरा हृदयेश उत्तराखंड की राजनीति में कद्दावर नेता मानी जातीं थीं. उनको उत्तराखंड की ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता था. उन्होंने स्नातकोत्तर (हिंदी एवं राजनीतिक विज्ञान) में पीएचडी की । साथ ही इंदिरा का विवाह 13 अक्टूबर 1967 में हुआ ।
4 बार विधान परिषद के लिए हुई निर्वाचित
इंदिरा हृदयेश1974 में पहली बार गढ़वाल कुमाऊं शिक्षक निर्वाचन से उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य निर्वाचित हुईं। इसके बाद 1986, 1992 और फिर 1998 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुईं । उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के इतिहास में सर्वाधिक मतों से जीतने वाली महिला होने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम दर्ज है ।
3 बार विधानसभा के लिए चुनीं गईं
साल 2002 से 2012 और साल 2017 के आम चुनाव में उत्तराखंड विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं । वहीं साल 2012 से 2017 तक उत्तराखंड सरकार में वित्त, वाणिज्य कर, स्टाफ एवं निबंध संसदीय कार्य निर्वाचन जनगणना भाषा एवं प्रोटोकॉल मंत्री भी रही हैं । वर्तमान समय में उत्तराखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष थी ।
कई बार इंदिरा का नाम सीएम की चर्चा में रहा
इंदिरा हृदयेश का नाम पिछले चार दशक से उत्तरप्रदेश से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में बड़े-बड़े नेताओं में शुमार रहा है । वैसे तो इंदिरा सीएम बनाए जाने को लेकर कई बार चर्चा में आईं है , लेकिन राज्य गठन के दो दशक बाद भी मुख्यमंत्री का सपना पूरा नहीं हो सका ।
पार्टी के लिए पूरा जीवन समर्पित करने वाली इंदिरा हृदयेश के मुख्यमंत्री बनने को लेकर उनको कई बार मलाल रहा । इसको लेकर हरीश रावत और उनके बीच कई बार जुबानी जंग भी चली । वहीं वह पूर्व सीएम स्व. एनडी तिवारी की बेहद नजदीकी मानी जाती थी ।
‘सुपर मुख्यमंत्री’ के रूप में जानीं गईं इंदिरा
इंदिरा हृदयेश को एनडी तिवारी की सरकार में सुपर मुख्यमंत्री तक कहा जाता था। यह उस समय ये प्रचलन में था कि इंदिरा जो कह दें, वह पत्थर की लकीर होती थी । साल 2007 से 2012 तक में इंदिरा हृदयेश चुनाव नहीं जीत सकीं, लेकिन 2012 में एक बार फिर वह विधानसभा चुनाव जीतीं । विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में वित्त मंत्री व संसदीय कार्य समेत कई महत्वपूर्ण विभाग भी इंदिरा नें संभाले ।
इंदिरा ने किया पार्टी का नेतृत्व
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी से जीत हासिल की. इस दौरान कांग्रेस विपक्ष में बैठी, तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में पार्टी का नेतृत्व करने का मौका भी मिला।
जनतंत्र की खास बातचीत के दौरान क्या कुछ कहा इंदिरा हृदयेश ने सुनिए।