नई दिल्ली। शराब माफिया और उसके वर्गों के लोगो को पुलिस का कोई खौफ ही नहीं था, देवेंद्र और मैं पहुंचे तो उन पर कोई असर ही नहीं हुआ, हम डरे नहीं और आगे बढ़ते रहे तो हमें घेरा बनाकर पकड़ लिया गया, फिर तमंचों की बटों, लोहे की रॉड, लाठी-डंडों से पीटा, इसके बाद भाले से वार किया। इसमें सिपाही देवेंद्र सिंह को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायल दरोगा-
अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती घायल दरोगा अशोक ने अस्पताल ले जाए जाते समय पुलिस को बताया कि नगला धीमर में कच्ची शराब बनाई जा रही थी। यह देख वे आगे बढ़ गए। शराब माफिया मोती का अड्डा भी यही है। उसके वर्ग के लोग वहा आ गए। उन्होंने पूछा कि यहां आने की हिम्मत कैसे हुई। उनसे कहा कि पुलिसवाले हैं, तमीज से बात करो। वहां पर मोती और उसका भाई एलकार सिंह भी मौजूद था। उन्होंने ही हमले का इशारा किया। इसके बाद तो उनके गुर्गों ने घेरा बना लिया, हम बीच में थे। देखते ही देखते हथियार आ गए और उन्होंने हमला कर दिया।
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वर्दी उतरवाकर पेड़ से बांधा-
उन्होंने बताया मोती ने कहा कि ये अड्डे तक आए हैं, यह हिम्मत इनकी खुद की नहीं, इस वर्दी की है, पहले इसे उतरवाओ। उन लोगो ने वर्दी उतरवा दी। इसके बाद दोनों को पेड़ से बांध दिया और फिर बेरहमी से पीटा। वे चीखे लेकिन माफिया और गुर्गों के अलावा कोई और सुनने वाला नहीं था। जब गुर्गे हमें पीट रहे थे, तब शराब माफिया मोती ने कहा कि इन्हें इतना पीटो की मर जाएं और ध्यान रखना, लाश को यहां मत छोड़ना। नदी में बहा दो या कहीं और छिपा दो, पुलिस को लाश नहीं मिलनी चाहिए।
दोनों पैर और सीने पर गंभीर चोटें
सूत्रों के मुताबिक अशोक कुमार के सिर, दोनों पैर और सीने पर गंभीर चोटें हैं। हमलावरों के जाने के बाद काफी दूर तक वह घिसट-घिसटकर गांव की ओर बढ़ रहे थे, मगर कुछ दूर चलकर चोट व दर्द के कारण वह बेसुध हो गए। इसके बाद उन्हें जब पुलिस ने उठाया, तब अहसास हुआ कि जीवित हैं।