जनतंत्र डेस्क Rani Kamlapati: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया है। इस वर्ल्ड क्लास स्टेशन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। स्टेशन का निर्माण 1905 में किया गया था, उस वक्त ये स्टेशन शाहपुर नाम से जाना जाता था। सन 1979 में नाम बदलकर हबीबगंज स्टेशन कर दिया गया। अब इस स्टेशन को रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा। कौन थीं रानी कमलापति आइए जानते हैं।
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि, रानी कमलापति एक गोंड रानी थीं जिनका विवाह गिन्नौरगढ़ के राजा निजाम शाह के साथ हुआ था। उन्हें गोंड राजवंश की अंतिम रानी माना जाता है। भोपाल में कमला पार्क उन्हीं के नाम पर बना है और उसी में उनका एक महल भी मौजूद है। कहा जाता है रानी कमलापति बेहद खूबसूरत थीं। कमलापति को शिक्षा, घुड़सवारी, मल्लयुद्ध और तीरकमान चलाने में महारत हासिल थी। सलकनपुर रियासत की देखरेख की जिम्मेदारी राजा कृपाल सिंह सरौतिया और राजकुमारी कमलापति पर ही थी। उस वक्त गिन्नौर गढ़ के राजा निज़ाम शाह थे।
निजाम की सात बीवियों में एक थीं रानी कमलापति
निजाम शाह एक गोंड राजा थे जिनकी सात बीवियां थीं। शाह की सात बीवियों में से एक बीवी का नाम कमलापति था। लेकिन निजाम शाह का भतीजा आलम शाह अपने चाचा की संपत्ति हड़पना चाहता था और कमलापति को अपना बनाना चाहता था। ये भावना लेकर एक दिन आलम शाह ने अपने चाचा निजाम शाह के खाने में ज़हर मिला दिया जिससे उनकी मौत हो गई। जिसके बाद आलम शाह ने राज्य पर कब्जा कर दिया। वहीं, कमलापति अपने बेटे नवल शाह के साथ भोपाल के रानी कमलापति महल में रहने लगीं।
पति के हत्यारे से बदला का इरादा
आलम शाह के हाथों निजाम शाह की हत्या के बाद रानी कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला लेने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने मोहम्मद खान से मदद मांगी। मोहम्मद खान उस वक्त अब के इस्लामपुर में शासन कर रहे थे। पति के हत्यारे की हत्या करने के बदले मोहम्मद खान को रानी कमलापति ने एक लाख अशर्फियां देने की बात कही। जिसके बाद मोहम्मद खान के हाथों आलम शाह मारा गया। लेकिन रानी 50 हजार अशर्फियां ही दे पाईं।
इतिहासकार कहते हैं कि रानी कमलापति के जीते जी कभी भी दोस्त मोहम्मद खान ने उन पर हमला नहीं किया। लेकिन राजनीतिक थ्योरी कुछ और ही कहती हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, ‘’ रानी कमलापति के राज्य को दोस्त मोहम्मद खान द्वारा हड़पने का षड्यंत्र किया गया था। उनके पुत्र की हत्या कर दी गई और जब रानी को लगा कि राज्य का अब वह संरक्षण नहीं कर पायेंगी, तो उन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जल समाधि ले ली थी।‘’
शिवराज सिंह के इस दावे से इतिहासकार ताल्लुक नहीं रखते उनका कहना है कि, ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि रानी कमलापति ने अपना जीवन मोहम्मदल खान की वजह से खत्म किया। कहा जाता है, जिस छोटे तालाब की बात की जा रही है वह उस वक्त था ही नहीं।
इतिहासकारों का कहना तो ये भी है कि मोहम्मद खान को रानी कमलापति अपना भाई मानती थी। उनके हिफाजत की जिम्मेदारी मोहम्मद खान पर थी। इसके बदले रानी कमलापति ने उन्हें पैसे और आधा भोपाल दे दिया था। इतिहासकारों का कहना है कि रानी कमलापति के जीवन के बारे में राजनीतिक फायदे के लिए थ्योरी बनाई जा रही है।