नई दिल्ली: Lakhimpur Violence:अगर हमारे राजनेताओं और प्रचारकों को ‘पत्रकारों’ के रूप में देखा जाए, तो किसी भी घटना को राजनीतिक दृष्टिकोण में बदला जा सकता है, खासकर चुनावी राज्य में। दरअसल, रविवार को, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों ने कथित तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को ले जा रही एक कार पर हमला किया। राज्य मंत्री ए के मिश्रा के अनुसार, ‘किसानों’ ने पथराव किया और काफिले पर हमला कर दिया। इससे चालक ने नियंत्रण खो दिया और कार पलट गई जिसमें दो ‘प्रदर्शनकारियों’ की मौत हो गई। इससे नाराज़ होकर ‘किसानों’ ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया, जिसमें कम से कम चार बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत हो गई।
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Lakhimpur Violence: किसानों पर ‘हत्यारा हमला’
अब वायरल हो रहे विचलित करने वाले वीडियो में देखा जा सकता है कि ‘प्रदर्शन कर रहे किसानों’ की भीड़ लोगों पर हमला कर रही है और उन्हें लाठियों से पीट रही है। हालाँकि, सामान्य संदिग्ध, इस मामले में विवरण सामने आने से पहले, टूलकिट पर काम करना शुरू कर चुके थे कि ‘भाजपा नेता के बेटे ने विरोध कर रहे किसानों पर जानबूझकर गाड़ी चढ़ा दी’। किसान, जिन्हें भाजपा कार्यकर्ताओं की पिटाई करते देखा जा सकता है, उनपर ‘हत्यारा हमला’ किया गया। उनके अनुसार, ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा कार्यकर्ता इतने अमानवीय हैं कि वे अपनी राजनीतिक विचारधारा से सहमत नहीं होने वालों को ‘इसी लायक’ समझते हैं। गौरतलब ये है कि जो कोई भी डिफ़ॉल्ट रूप से भाजपा से सहमत नहीं होता है वह न्याय और मानवाधिकारों का चैंपियन बन जाता है। तो क्या हुआ अगर उनके एक हाथ में पत्थर है और दूसरे में तुम्हारे सिर काटने के लिए तलवार।
Lakhimpur Violence: “आग लगे बस्ती में, नेता अपनी मस्ती में”
विरोध करने वाले ‘किसानों’ के भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर खबर आई कि ‘केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता के बेटे द्वारा जानबूझकर किसानों को कुचला गया’। विडंबना यह है कि वे ठीक वही कर रहे हैं जो वे भाजपा/संघियों पर करने का आरोप लगा रहे हैं यानी किसी ऐसे व्यक्ति को अमानवीय बनाना जिससे वे सहमत नहीं हैं। वैसे भी, ‘बीजेपी नेता के बेटे द्वारा जानबूझकर मारे गए किसान’ राज्य में अवसरवादियों के लिए एक बड़ा आधार हैं जहाँ चुनाव कुछ महीनों में होने वाले हैं। तभी तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने तुरंत लखीमपुर खीरी जाने का फैसला किया। यही कारण है कि, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तब भी स्थिति का जायजा लेने के लिए उत्तर प्रदेश में जाते हैं, जब उनकी अपनी सरकार अपने राज्य में कांग्रेस नेताओं के बीच आंतरिक लड़ाई के कारण गिरने के कगार पर है। ऐसे में यह मामला “आग लगे बस्ती में, नेता अपनी मस्ती में” का मालूम होता है।
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