Uniform Civil Code पर मोदी सरकार के इस कदम से बढ़ी अटकलें -!
नई दिल्ली : गोवा हिंदुस्तान का एक ऐसा अकेला राज्य है, जहां Uniform Civil Code लागू है, यह कोड गोवा में 1962 में लागू हुआ था, इस Uniform Civil Code में सभी जाति धर्म के लोगों को एक जैसे कानून का अधिकार दिया गया है। बता दें कि गोवा (Goa) साल 1961 में भारत में शामिल हुआ था।
Uniform Civil Code भारत में लाने से हिंदू – मुस्लिम में भेदभाव ख्तम होगा
यह सिविल कोड (Uniform Civil Code) दूसरी तरफ संविधान के अनुच्छेद 25 और 29 में कहा गया है कि किसी को भी अपने धर्म और रीति रिवाजों को मानने की पूरी आजादी है, अगर यह पूरे भारत में लागू होता है तो सभी धर्म के लोगों को सिर्फ एक समान कानून के दायरे में लाया जाएगा। जिसके तहत शादी, तलाक, प्रॉपर्टी और गोद लेने जैसे मामले शामिल होंगे, ये लोगों को कानूनी आधार पर मजबूत बनाएगा।
सभी धर्मों के पर्सनल कानून अलग- अलग है
हिंदू पर्सनल लॉ मेें क्या है
हिंदुओं के लिए 1951 में तत्कालीन Law Minister Dr. BR Ambedkar ने हिंदू कोड बिल पेश किया था, लेकिन देश में जबरदस्त विरोध के बाद इस बिल को चार हिस्सों में बांट दिया गया था, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे Hindu Marriage Act, Hindu Succession Act,Hindu Adoption and Maintenance Act, Hindu Minority and Guardianship Act, में बांट दिया था। इसके तहत बौद्ध, सिख, जैन भी आते हैं। हिंदू पर्सनल लॉ (Hindu Personal Law) में महिलाओं के लिए कहा गया है कि महिलाओं को पैतृक और पति की संपत्ति में अधिकार मिलता है, इसके अलावा अलग-अलग जातियों के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने का अधिकार है लेकिन कोई व्यक्ति एक शादी के होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकता।
मुस्लिम पर्सनल लॉ में क्या है
मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim personal law) के तहत पहले तीन तलाक प्रथा को मान्यता थी जिसके तहत एक पति अपनी पत्नी को सिर्फ 3 बार तलाक कहकर तलाक दे सकता था, लेकिन अब मोदी सरकार के बीते 5 साल में इस प्रथा को गैरकानूनी बना दिया गया। इसके अलावा मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मुसलमान पुरुषों को चार शादियां तक करने का अधिकार है. इसके अलावा शादी, विरासत जैसे कई मसले अभी इस पर्सनल कानून के हिसाब से तय होते हैं, जो कॉमन सिविल कोड लागू होने के बाद खत्म हो सकते हैं।