जनतंत्र डेस्क MP: मध्य प्रदेश के अशोकनगर में अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। यहां एक अदालत ने सामुहिक दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला और उसके साथी को 10 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट का ये फैसला डीएनए टेस्ट के आधार पर आया है। वहीं, कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर 2-2 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
ये मामला साल 2014 का है, जब एमपी के अशोकनगर जिले में एक महिला ने थाने में सामुहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। जिसके बाद पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू कर दी। चूंकी मामला गैंगरेप का था तो पुलिस घटना के हर पहलू की जांच कर रही थी। पुलिस ने उस वक्त आरोपियों के खिलाफ धारा 376 (2) में मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने जांच पड़ताल की और जिन पर आरोप लगे थे उनसे पूछताछ की गई। आरोपियों ने पुलिस को डीएनए टेस्ट के लिए आवेदन दिया था। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने उन्हें डिएनए टेस्ट की अनुमति दी।
डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट में आरोपियों का DNA महिला से मैच नहीं हुआ। इसके साथ ही पुलिस को गोपाल नाम के शख्स पर संदेह भी था। पुलिस ने गोपाल और एक अन्य व्यक्ति का डीएनए टेस्ट करवाया। ये टेस्ट महिला से मैच हो गया। इसके बाद महिला और आरोपी के खिलाफ धारा 376 (2) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था। बुधवार को कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 10 साल की सजा दी और दो हजार का अर्थदंड लगा दिया। इस फैसले की बड़ी बात ये भी है कि अब कोई महिला या पुरूष कानून के गलत इस्तेमाल की कोशिश नहीं करेगा।