Narak Chaturdashi: नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है।
जनतंत्र डेस्क: Narak Chaturdashi: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि को यानी दीपावली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 03 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि इस साल, इस दिन हनुमान जयंती भी है। नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है। इस दिन को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
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Narak Chaturdashi: नरक चतुदर्शी पर प्रचलित कथाएँ
धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नाम के असुर का वध किया था। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था। नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा अतः आप ही कोई उपाय करें। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया। नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
Narak Chaturdashi: क्या है सही पूजन विधि ?
एक अन्य मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क की यतनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण से भी नरक चतु्र्दशी के दिन दीपदान और पूजा का विधान है। छोटी दिवाली पर माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, साथ में श्रीगणेश को भी विराजमान कर, उनकी उपासना की जाती है. आपने धनतेरस पर जो चांदी के सिक्के खरीदे हैं, उन्हें इस दिन पूजा के दौरान मां लक्ष्मी के सामने रखें। एक बड़े पीतल की थाले में स्वास्तिक बनाएँ। इसमें चारों ओर ग्यारह मिट्टी के दीपक रखें अब बीच में एक पंचमुखी दीपक रखें। छोटी दिवाली पर अपने घर की चौखट, सभी कमरों और छत पर ज़रूर दीए जलाएँ। इसके साथ ही घर के मंदिर में भी दीपक जलाकर रखें।