जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: राजनीतिक पार्टियों में अक्सर मतभेद की खबरें आती रहती हैं आज की छोटी बात कब बड़ी और बहुत बड़ी बन जाए राजनीति में कुछ नहीं कह सकते। लेकिन मुख्यधारा की राजनीति से हटकर कुछ खबरें सुखद भी होती हैं। जो कभी नामुमकिन सा लगता है। लेकिन ऐसा ही हुआ है। जब अपनी ही पार्टी के झगड़े में विपक्षी पार्टी संकटमोचन बन कर आई और मदद की।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। राजस्थान में बिजली संकट गहराया हुआ है राजस्थान में बिजली संकट की वजह भी छतीसगढ़ ही है। क्योंकी भूपेल बघेल सरकार ने राजस्थान की गहलोत सरकार को छतीसगगढ़ के परसा कोल ब्लॉक्स में खनन की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। ऐसे में राजस्थान में गहराते बिजली संकट के बीच योगी सरकार ममदगार बनकर सामने आई और राजस्थान सरकार को 700 मेगावाट बिजली उधार दी।
Coal Crisis: देश में कोयले की कमी, ऐतिहासिक बिजली संकट की आहट तो नहीं?
छत्तीसगढ़ सरकार के राजस्थान को कोयले की खनन की मंजूरी देने से इंकार करने पर नाराज अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर दखल की मांग की। मगर बात बनने में देरी को देखते हुए और राजस्थान में कोयले की कमी से गहराते बिजली संकट से निपटने के लिए राजस्थान सरकार ने योगी सरकार की ओर रुख किया। जिसके बाद दोनों सरकारों के बीच 700 मेगावाट बिजली उधार लेने का करार किया। अब उत्तर प्रदेश से राजस्थान को 42 लाख यूनिट बिजली रोज मिलेगी। हालांकि, यह बिजली वापस उत्तर प्रदेश को लौटानी होगी। बताया जा रहा है कि राजस्थान के पास महज दस दिन का कोयला बचा है।
गहलोत-बघेल आमने सामने
अशोक गहलोत और भूपेश बघेल दोनों कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री हैं लेकिन कोयला खनन के मामले में आमने सामने हैं। बात इतनी बढ़ गई कि गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मामले में दखल की मांग की। पत्र में राजस्थान में चल रहे बिजली संकट पर चिंता जताई। पत्र में यह भी लिखा गया कि, कोल संकट के कारण ही राजस्थान में बिजली दरें महंगी हैं।
केंद्र से राजस्थान को मिल चुकी मंजूरी
छत्तीसगढ़ के परसा कोल ब्लॉक से राजस्थान को कोयला खनन की मंजूरी मिल चुकी लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार पर्यावरण और आदिवासियों के हितों का हवाला देते हुए कोयला खनन से इंकार कर दिया। कांग्रेस के ही दो राज्यों की लड़ाई में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संकटमोचन बनी। वहीं, बात ये भी है कि दो राज्यों की लड़ाई में खामियाजा राजस्थान की जनता को भुगतना पड़ रहा है जो महंगी बिजली दर चुका रही है।