नई दिल्ली: रामायण(Ramayana) को महज एक काल्पनिक रचना मानना चाहिए या फिर भारत के इतिहास का एक विश्वसनीय दस्तावेज, इस बात को लेकर अक्सर बहस होती है. जहां आधुनिक इतिहासकार इसे इतिहास के विश्वसनीय दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने से इंकार करते हैं। हम यहां इस विवाद के ऊपर कोई निर्णय तो नहीं दे रहे हैं। लेकिन आज हम आपके सामने कुछ ऐसे अटल साक्ष्य प्रस्तुत करने जा रहे हैं। जिन्हें जानकर आप खुद इस निर्णय पर पहुंच सकते हैं, कि इतिहास के तराजू में रामायण(Ramayana) को महज एक काल्पनिक साहित्यिक रचना कहकर खारिज नहीं किया जा सकता।
1. अशोक वाटिका (Ashok Vatika)
Ramayana: अशोक वाटिका लंका में स्थित है, जहां रावण ने सीता को हरण करने के पश्चात बंधक बनाकर रखा था। ऐसा माना जाता है कि एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था, जिसे ‘सीता एलिया’ के नाम से भी जाना जाता है। यहां सीता माता के नाम पर आज भी एक मंदिर मौजूद है।
2. भगवान हनुमान के पद चिन्ह (Footprints of Hanuman)
Ramayana जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तब उन्होंने भव्य रूप धारण कर लिया. इसीलिए जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैरों के निशान वहां बन गए थे, उनके विशालकाए पैरों के पद चिन्ह आज भी कई जगहों पर देखने मिल जायेंगे।
3. जानकी मंदिर (Janki Temple)
Ramayana नेपाल के जनकपुर शहर में जानकी मंदिर नमक जगह मौजूद है, शायद आपको पता ही होगा कि सीता माता के पिता का नाम जनक था। जिनके नाम पर एक शहर का नाम, जनकपुर पड़ा। और सीता माता की माँ जानकी थीं, जिनके नाम पर जानकी मंदिर का निर्माण किया गया। जहाँ आज भी लाखों की संख्या में लोग आते हैं. सचमुच ये रामायण का एक जीता जागता प्रमाण है !
4. पानी में तैरने वाले पत्थर (Ram Setu Stone)
राम सेतु एक ऐसा पुल था जिसके पत्थर पानी पर तैरते थे. सुनामी के बाद रामेश्वरम में उन पत्थरों में से कुछ बह कर जमीन पर आ गए थे. शोधकर्ताओं नें जब उसे दोबारा पानी में फेंका तो वो तैरने लगे, जबकि वहां के किसी और आम पत्थर को पानी में डालने से वो डूब जाते थे।
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5. द्रोणागिरी पर्वत (Dronagiri Parvat)
युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण को मेघनाथ ने मूर्छित कर दिया था और उनकी जान जा रही थी, तब हनुमान जी संजीवनी लेने द्रोणागिरी पर्वत गए थे. उन्हें संजीवनी की पहचान नहीं थी, तो उन्होंने पूरा पर्वत ले जाने का निर्णय लिया. युद्ध के बाद उन्होंने द्रोणागिरी को यथास्थान पहुंचा दिया. आपको बता दें की, उस पर्वत पर आज भी वो निशान मौजूद हैं जहां से हनुमान जी ने उसे तोड़ा था.
6. श्रीलंका में हिमालय की जड़ी-बूटी (Sanjeevni Booti Parvat)
श्रीलंका में हिमालय की जड़ी बूटियो का मिलना इस बात का पर्याप्त सबूत है कि लक्षमण को संजीवनी देने की घटना पूर्ण रूप से सत्य है! क्यूंकि ये जड़ी बूटियो के पौधो उसी स्थान पर मिले हैं जहाँ पर लक्षमण को संजीवनी दी गयी थी ! जबकि पूरे श्रीलंका में ऐसी जड़ी बूटी कहीं नहीं मिलती हैं, और हिमालय की जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना इस बात का बहुत बड़ा प्रमाण है.
7. लेपाक्षी मंदिर (Lepakshi Temple)
सीता हरण के बाद जब रावण उन्हें आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था। तब उसे रोकने के लिए राजा दशरथ के मित्र जटायू आए थे. रावण ने उनका वध कर दिया था. ऐसे में आकाशमार्ग से जटायू इसी जगह आ गिरे थे. यहां आज एक मंदिर है जिसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
8. रावण का महल (Ravana Mahal In Sri Lanka)
श्रीलंका के पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान एक महल मिला जिसमे कई गुप्त रास्ते हैं, जो शहर के मुख्य केंद्रों तक जाते हैं! ये प्रमाणित हुआ है कि ये रास्ते मानव निर्मित थे। माना जाता है की ये वही महल है जिसमें रावण अपनी पटरानी मंदोदरि के साथ निवास करता था। इसके अलावा आपको बता दें, की यह वही महल है, जिसे पवनपुत्र हनुमान ने लंका के साथ जला दिया था।
9 . रामलिंगम (Ramalingam Temple)
रावण को मारने के बाद भगवान राम को पश्चाताप करना था क्योंकि उनके हाथ से एक ब्राहमण का कत्ल हुआ था. इसके लिए उन्होंने शिव की आराधना की थी. भगवान शिव ने उन्हें चार शिवलिंग बनाने के लिए कहा. एक शिवलिंग सीता जी ने बनाया जो रेत का था. दो शिवलिंग हनुमान जी कैलाश से लेकर आए थे और एक शिवलिंग भगवान राम ने अपने हाथ से बनाया था, जो आज भी उस मंदिर में हैं और इसलिए ही इस जगह को रामलिंगम कहते हैं
10. राम सेतु (Ram Setu/Adams Bridge)
रामायण और भगवान राम के होने का ये सबसे बड़ा सबूत है जो अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है. रामायण में राम सेतु का वर्णन साफ तौर पर किया गया है. जिसका निर्माण वानर सेना ने श्री राम के श्रीलंका भ्रमण के समय किया था! वैज्ञानिक तथ्यो के आधार पर ये बात साबित हो चुकी है. कि रामसेतु का निर्माण आज से १७ लाख साल पहले किया गया था और ये मानव निर्मित सेतु है ! आप आज भी इस सेतु को मैप पर देख सकते हैं। जिसके निर्माण में ना डूबने वाले पत्थरो का प्रयोग किया गया था. ये पत्थर आज भी पानी में डूबने के बजाए तैरते हैं .