नई दिल्ली: दिल्ली दंगे के दौरान जाफराबाद में हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर पिस्तौल तानने और गोली चलाने के मामले में आरोपित शाहरुख पठान को कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत देने से इन्कार कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने आदेश में कहा कि तस्वीरें चीख कर बता रही हैं कि आरोपित अपराध में शामिल था। कोर्ट ने कहा कि उसके फरार होने का खतरा है, इस आधार पर उसकी जमानत अर्जी खारिज की जा रही है।
इस मामले में आरोपित शाहरुख पठान की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान उसके वकील ने कोर्ट में कहा कि शाहरुख पठान बेगुनाह है। उसे झूठे मामले में फंसाया गया है, अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश वकील डीके भाटिया ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि गत वर्ष 24 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन और मौजपुर चौक के बीच 66 फुट रोड पर एक गुट जाम लगा रहा था। वहीं दूसरा गुट उन्हें जाम लगाने से रोकने का प्रयास कर रहा था। इसी दौरान दोनों गुट भिड़ गए थे और पथराव होने लगा था। इसी बीच कुछ लोग हवा में पिस्तौल लहराते हुए वर्दी धारी पुलिस कर्मियों पर फायरिंग करने लगे थे
जांच के दौरान वीडियो के जरिये हेड कांस्टेबल पर पिस्तौल तानने वाले युवक की पहचान अरविंद नगर निवासी शाहरुख पठान के रूप में हुई थी। जिसे शामली बस अड्डे से गिरफ्तार किया था। वहां कलीम नामक शख्स ने उसे घर में पनाह दी थी, उसे भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिस कार में शाहरुख पठान फरार हुआ था, वह कार भी शामली में कैराना से बरामद की गई थी। कोर्ट को यह भी बताया कि दिसंबर 2019 में शाहरुख ने मेरठ के बाबू वसीम से 35 हजार रुपये में पिस्तौल और 20 कारतूस खरीदे थे।
कोर्ट ने आरोपित की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया और कहा कि विरोधाभासी बयान के आरोप पर कहा कि शिकायतकर्ता हेड कांस्टेबल का साक्षात्कारों में दिया गया बयान जमानत के संबंध में प्रासंगिक नहीं माना जा सकता।