Siachen Glacier : CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा जवानों को नहीं मिल पा रही है सुविधा
नई दिल्ली : लेह, लद्दाख और सियाचिन (Siachen Glacier) जैसे बेहद ऊंचे और दुर्गम स्थानों में तैनात भारतीय सैनिकों को कपड़े, जूते, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज की गंभीर किल्लत का सामना करना पड़ा है, CAG ने खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों और दूसरे सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है, ये खुलासा CAG ने अपने एक रिपोर्ट से हुआ है कैग की ये रिपोर्ट सोमवार को संसद में पेश की गई।
Siachen Glacier जवानों को मिली जरूरत से कम एनर्जी
रिपोर्ट में कहा गया है कि (Siachen Glacier) बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट न मिल पाने की वजह से सैनिकों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनना पड़ा रहा है.कैग के अनुसार मार्च 2019 में रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि बजट की तंगी और आर्मी की जरूरतों में बढ़ोतरी की वजह से जवानों को ये किल्लत हुई, रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई, इस वजह से सेना मुख्यालय में इन सामानों की कमी हो गई, हालांकि रक्षा मंत्रालय ने कहा कि धीरे-धीरे इन कमियों को पूरा कर लिया जाएगा.कैग ने 9000 फीट ऊंचे स्थान पर रहने के लिए दिए जाने वाले विशेष राशन और आवास की व्यवस्था पर भी सवाल उठाया है।
Siachen Glacier में जवानों को हो रही खाने और कपड़े की किल्लत
बता दें कि लेह लद्दाख और सियाचिन (Siachen Glacier) में रहने वाले जवानों को कैलरी की कमी पूरा करने के लिए विशेष खाना दिया जाता है, कैग के मुताबिक उन्हें इसके इस्तेमाल में भी कंजूसी करनी पड़ी.कैग ने टिप्पणी की है कि विशेष खाने के बदले दिया जाने वाले सब्स्टीट्यूट की सप्लाई में कमी की वजह से जवानों को कई बार 82 परसेंट तक कम कैलोरी मिली, लेह की एक घटना का जिक्र करते हुए कैग ने कहा है कि यहां से स्पेशल राशन को सैनिकों के लिए जारी हुआ दिखा दिया गया, लेकिन उन्हें हकीकत में ये सामान मिला ही नहीं था।
- CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
- सियाचिन में सैनिकों को जरूरत मुताबिक नहीं मिल रहा खाना-कपड़े
- सियाचीन में जवानों को हो रही खाने और कपड़े की किल्लत
- दुर्गम स्थानों पर तैनात जवानों को सामानों की किल्लत
- जवानों को जूता, सन ग्लासेज, जैकेट की तंगी
- जवानों को मिली जरूरत से कम एनर्जी
- सैनिकों की हेल्थ पर पड़ा असर
- सैनिकों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनने पड़ रहे हैं