सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या ढांचा विध्वंस पर दिखाई सख़्ती, 31अगस्त की दी डेडलाइन
अयोध्या ढांचा विध्वंस को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्ती दिखाई है। निचली अदालत में जारी अयोध्या ढांचा विध्वंस मामले के निपटारे के लिए ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश एसके यादव के कार्यकाल को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया है। हलाकि, सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए जस्टिस आरएफ नरीमन (RF Nariman) एवं जस्टिस सूर्यकांत (Surya Kant) की पीठ ने शुक्रवार को जारी अपने आदेश में लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत को ढांचा विध्वंस मामले में आपराधिक मुकदमे का निपटारा इसी साल के 31 अगस्त तक करने का निर्देश दियाहै।
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि ‘लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत अगस्त के अंत तक मुकदमे की सुनवाई को पूरा करे और अपना फैसला सुनाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआई अदालत को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करनी चाहिए।
आडवाणी समेत 13 नेताओं के खिलाफ दाखिल है चार्जशीट
गौरतलब है कि ,6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अयोध्या में बाबरी में विवादित मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, अशोक सिंघल, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा सहित 13 नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है।हलाकि इनमे से कुछ लोगो की मौत भी हो चुकी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया आरोप मुक्त
समीक्ष्य विषय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही आरोपियों को मुक्त कर दिया गया है। इस फैसले के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 2017 में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सीबीआई की विशेष अदालत को फिर से सुनवाई करने का आदेश दे दिया था। कोर्ट ने मामले में दो साल में दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर ट्रायल को समाप्त करने का आदेश दिया था और कहा था कि विशेष जज का ट्रांसफर नहीं होगा। पीठ ने कहा था कि एक आरोपी कल्याण सिंह को राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते संवैधानिक प्रतिरक्षा प्राप्त है लेकिन, जैसे ही वह पद त्यागते हैं तो उनके खिलाफ अतिरिक्त आरोप दायर किए जाएंगे। अब उनके खिलाफ भी ट्रायल चल रहा है। इस बार कोर्ट ने सख्ती भी दिखाई है।