Tamil Nadu: राज्य सरकार का ये आदेश हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स एक्ट, ऐंसिएंट मॉन्यूमेंट्स एक्ट और जेवेल रूल्स का उल्लंघन है।
जनतंत्र डेस्क: Tamil Nadu की एम के स्टालिन सरकार ने 9 सितंबर को मंदिरों का सोना पिघलाने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया था। इसपर, राज्य सरकार ने दलील दी थी कि उसे मंदिर में जमा सोने को गला कर गोल्ड बार में बदलने का अधिकार है। तमिलनाडु सरकार की कहना है कि 24 कैरेट सोने के बार बैंकों में रख कर जो पैसे मिलेंगे उनका इस्तेमाल मंदिरों के विकास में होगा।
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Tamil Nadu: मंदिर के ट्रस्टी ही ले सकते हैं ऐसा फैसला
लेकिन मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु में मंदिरों का सोना पिघलाने से राज्य सरकार को रोक दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस तरह का निर्णय सिर्फ मंदिर के ट्रस्टी ही ले सकते हैं, सरकार नहीं। राज्य सरकार के आदेश को अवैध बताते हुए कुछ याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने बिना सही से ऑडिट किए मंदिर में श्रद्धालुओं की तरफ से चढ़ाए गए सोने को पिघलाने की राज्य सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए थे।
Tamil Nadu: 10 साल से ट्रस्टी नियुक्त ही नहीं हुए
बता दें कि कानूनन सोने को पिघलाने का फैसला ट्रस्टी करते हैं। और इस फैसले को सरकार सहमति देती है। लेकिन तमिलनाडु के अधिकतर मंदिरों में 10 साल से भी ज़्यादा समय से ट्रस्टी नियुक्त ही नहीं किए गए हैं। अब राज्य सरकार ने कोर्ट को लिखित आश्वासन दिया है कि पहले मन्दिरों में ट्रस्टी नियुक्त किए जाएँगे। फिर, उनकी सहमति से ही आगे कोई निर्णय लिया जाएगा। बहरहाल, मंदिरों से इकट्ठा किए गए लगभग 2138 किलो सोना पिघलाने की काम बंद कर दिया गया है।