नई दिल्लीः महामारी के समय जब परिजन अपने लोगों को बचाने के लिए परेशान हैं ,वहीं, कुछ हत्यारे रूपी बदमाश इस मुसीबत की घड़ी में कोरोना महामारी झेल रहे मरीजों के परिवारीजनों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन महंगे दामों पर बेच रहे हैं। राजधानी में मानकनगर, नाका और अमीनाबाद पुलिस ने नकली दवाओं के ऐसे 10 सौदागरों को धर दबोचा। पुलिस ने उनके पास से 218 इंजेक्शन, 2.38 लाख से अधिक रुपये, बिक्री में प्रयुक्त बाइक और स्कूटी समेत तीन वाहन बरामद किए हैं।
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मेडिकल स्टाफ शामिल
बता दें की पकड़े गए आरोपितों में अधिकतर केजीएमयू,लारी, क्वीनमेरी के मेडिकल स्टाफ और दो दवा व्यापारी है। पुलिस ने बताया कि गिरोह का नेटवर्क कई जनपदों में फैला है। उसकी भी पड़ताल की जा रही है। एडीसीपी मध्य चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में अलीगंज मुसाफिर खाना सुलतानपुर निवासी विकास दुबे (नर्सिंग तृतीय वर्ष का छात्र केजीएमयू), कौशल शुक्ला निवासी सीतापुर रोड खदरा (सीतापुर से डी फार्मा कोर्स कंप्लीट कर चुका है),
अजीत मौर्या निवासी गेंदी पन्नुगंज सोनभद्र (केजीएमयू लारी के ओटी में टेक्नीशियन), राकेश तिवारी निवासी शंकरपुर देहात कोतवाली बलरामपुर (केजीएमयू के क्वीनमेरी अस्पताल में स्टाफ नर्स) है। इनके पास से 91 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, चार मोबाइल फोन, एक स्कूटी और 5250 रुपये बरामद किए गए हैं।
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पुलिस का बयान
एडीसीपी मध्य ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने गिरोह के सप्लायर कौशल का मोबाइल नंबर जुटाया। इसके बाद उससे बात शुरू की। सर्विलांस और मानकनगर पुलिस टीम लगाई गई। कौशल से छह इंजेक्शन की बात की गई। उसने 20 हजार रुपये में एक इंजेक्शन देने की बात कही सौदा 15 हजार में तय हुआ। इसके बाद डिलीवरी मंगाई गई। कनौसी पुल के पास कौशल बाइक से पहुंचा। उसने इंजेक्शन निकाल कर सादे कपड़े में तैनात पुलिसकर्मी को दिए। इसके बाद टीम ने दबोच लिया।