नई दिल्ली: Dilip Kumar: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता यूसुफ़ ख़ान उर्फ़ दिलीप कुमार का आज निधन हो गया है। उन्हें पिछले महीने से ही सांस संबंधित समस्याएं बनी हुई थी। बॉलीवुड के ‘ट्रेजेडी किंग’ ने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में सुबह करीब 7.30 बजे अंतिम सांस ली दिलीप कुमार की उम्र 98 साल थी। दिलीप कुमार के साथ उनकी पत्नी और अभिनेत्री सायरा बानो उनकी आखिरी सांस तक साथ रहीं और फैंस से लगातार दुआ करने की अपील भी कर रही थीं। दिलीप कुमार को शाम पांच बजे मुंबई के जुहू कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
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Dilip Kumar: दिलीप कुमार का जन्म
दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान में हुआ था और उनका पहला नाम यूसुफ खान था। बाद में उन्हें पर्दे पर दिलीप कुमार के नाम से शोहरत मिली। एक्टर ने अपना नाम एक प्रोड्यूसर के कहने पर बदला था जिसके बाद उन्हें स्क्रीन पर दिलीप कुमार के नाम से लोग जानने लगे।
शादी
दिलीप कुमार की शादी अभिनेत्री सायरा बानो से वर्ष 1966 मे हुई। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो की 22 वर्ष की थीं। 1980 मे कुछ समय के लिए उन्होंने आसमां से दूसरी शादी भी की थी।
फिल्मी सफ़र
हिंदी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में गिने जाने वाले दिलीप कुमार ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ फिल्म से अपने करिअर की शुरुआत की थी। लेकिन उस वक्त में इस फिल्म और उनके काम ने ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं किया।1947 में आई फिल्म ‘जुगनू’ जिसमें नूरजहां ने भी अभिनय किया था। ‘जुनून’ से उन्होंने सफलता का स्वाद चखा यह उनकी पहली बॉक्स ऑफिस हिट फिल्म थी। साल 1949 में वह राज कपूर और नरगिस के साथ फिल्म अंदाज में नजर आए जिसने दिलीप कुमार को एक बड़े कलाकार के रूप में स्थापित कर दिया।
दीदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मों में गंभीर भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजडी किंग कहा जाने लगा। मुग़ले-ए-आज़म (1960) में उन्होंने मुग़ल राजकुमार जहाँगीर की भूमिका निभाई। “राम और श्याम” में दिलीप कुमार द्वारा निभाया गया दोहरी भूमिका आज भी लोगों को गुदगुदाने में सफल साबित होता है। 1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कम फ़िल्मों में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्में थीं: क्रांति (1981), विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज़्ज़तदार (1990) और सौदागर(1991)। 1998 में बनी फ़िल्म “क़िला” उनकी आखिरी फ़िल्म थी। उन्होने रमेश सिप्पी की फिल्म शक्ति मे अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फिल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला।
फिल्मफेयर अर्वाड
दिलीप कुमार को आठ फिल्मफेयर अर्वाड मिल चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा अवॉर्ड जीतने के लिए दिलीप कुमार का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। दिलीप कुमार को साल 1991 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1994 तें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया। 2000 से 2006 तक वह राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1998 में वह पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किए गए।,
कैसे बने एक्टर
दिलीप कुमार कभी भी एक्टर नहीं बनना चाहते थे ना ही उन्होंने कभी अदाकारी के लिए सोचा था। उनकी जिंदगी इस तरफ तब मुड़ गई जब वो एक स्टेशन पर खड़े होकर लोकर ट्रेन का इंतेजार कर रहे थे। इस स्टेशन का नाम था चर्चगेट स्टेशन यहां उनकी मुलाकात साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर मसानी से हो गई। डॉक्टर मसानी ‘बॉम्बे टॉकीज’ की मालकिन देविका रानी से मिलने जा रहे थे.। डॉक्टर मसानी ने यूसुफ़ ख़ान से कहा कि चलो क्या पता तुम्हें वहां कोई काम मिल जाए डाक्टर मसानी की इस पेशकश को कुबूल करने से पहले तो यूसुफ़ ख़ान ने मना कर दिया लेकिन किसी मूवी स्टूडियो में पहली बार जाने की दिलचस्पी के चलते वह वहां जाने को तैयार हो गए। यहां मे शुरू हुआ फिल्मी सफ़र।
भारत के अब तक के सबसे महान अभिनेताओं के रूप में उन्हें माना जाता है, सिनेमा के स्वर्ण युग की किंवदंतियों में से भी वह एक थे।