,नई दिल्ली: Twitter के साथ चल रहे विवाद में अब केंद्र ने नए आईटी नियमों के तहत ट्विटर पर सख्ती की है। ट्विटर से भारतीय आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत मिली सुरक्षा का अधिकार छिन गया है। यानी कि ट्विटर पर किसी यूजर की ओर से कोई गैरकानूनी या भड़काऊ पोस्ट की जाती है तो उस संबंध में भारत में कंपनी के प्रबंध निदेशक समेत शीर्ष अधिकारियों से अब पुलिस पूछताछ कर सकेगी। वैधानिक अधिकारी की नियुक्ति में देरी के कारण ऐसा हुआ है।
हालांकि, सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान या आदेश जारी नहीं किया गया है. लेकिन क्योंकि ट्विटर ने अब तक नए आईटी नियमों को लागू नहीं किया, इसलिए उसका लीगल प्रोटेक्शन खुद-ब-खुद खत्म हो गया है.
बता दें कि नए आईटी नियमों के तहत कंपनियों को 25 मई तक अधिकारियों की नियुक्ति करनी थी, लेकिन कई ने लॉकडाउन और दूसरी दिक्कतों का हवाला देते हुए यह नियुक्तियां नहीं की। ट्विटर ने शुरू में कुछ नियुक्तियां की थीं, लेकिन इन्हें सरकार की ओर से खारिज कर दिया गया क्योंकि वे बाहरी कानूनी सलाहकार थे। ये लोग कंपनी से सीधे तौर पर नहीं जुडे़ थे।
भारत में ट्विटर के एक प्रवक्ता ने बताया कि उसने एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किया है। अभी तक इसका ब्यौरा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ साझा नहीं किया गया है। जल्द आईटी मंत्रालय के साथ ब्यौरा साझा किया जाएगा। हम प्रक्रिया के हर चरण में आईटी मंत्रालय को क्या डेवलपमेंट है उससे अवगत करा रहे हैं। ट्विटर नए दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। बता दें कि सरकार ने ट्विटर को कुछ दिन पूर्व दिए एक नोटिस में कहा था कि उसे नए आईटी नियमों के अनुपालन का आखिरी मौका दिया जाता है।
बार-बार रिमांइडर पर नहीं उठाया ठोस कदम
आईटी मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अभी तक ट्विटर की ओर से कोई ब्योरा नहीं मिला है। बार-बार रिमाइंडर दिए जाने के बाद भी कंपनी की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सरकार ने 5 जून को ट्विटर को एक आखिरी नोटिस में कहा था कि उसे सूचना प्रौद्योगिकी कानून संबंधी नए नियमों के अनुपालन का आखिरी मौका दिया जाता है। उसे तत्काल नियमों का अनुपालन करना है। यदि वह इसमें विफल रहती है, तो उसे आईटी कानून के तहत मध्यस्थ मंच के नाते दायित्व से जो छूट मिली है, वह वापस ले ली जाएगी।