जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले के 42 दिन पूरे हो चुके हैं। 43 वें दिन भी रूस का अटैक जारी है। राजधानी कीव समेत मारियोपोल, खार्किव, ओडेसा जैसे शहर तबाह हो गए हैं। पूर्वी यूक्रेन में रूस के हमले तेज़ होने की आशंका के बीच डोनबास से हजारों लोग भागने की कोशिश कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी उन्हें शहर छोड़ने का निर्देश दे रहे हैं।
43वें दिन रूसी सेना ने यूक्रेन के ईस्टर्न इलाके में हमला कर दिया है। रूसी सेना ने खार्किव के एक ऑयल डिपो पर हमला कर उसे तबाह कर दिया।
बूचा में नरसंहार
रूस पर यूक्रेन के बूचा शहर में नरसंहार की बात कही जा रही है। मारियुपोल के मेयर वादिम बॉयचेंको ने कहा है कि शहर में अब तक 210 बच्चों समेत 5100 नागरिकों की मौत हो चुकी है। वहीं, रूसी मिसाइल हमले में 50 लोग जिंदा जल गए हैं। ये सभी लोग मानवीय मदद लेने के लिए एक जगह जमा थे।
बूचा अटैक पर बैठक
बूचा अटैक के बाद गुरुवार को UN जनरल असेंबली की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में रूस को ह्यूमन राइट्स काउंसिल (UNHRC) से बाहर निकालने के लिए वोटिंग कराई जा सकती है। UNHRC में कुल 47 सदस्य देश शामिल हैं। अमेरिका सहित NATO देशों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि बूचा में जो हुआ, वह युद्ध अपराध है।
दोनेत्स्क और लुहांस्क से मिलकर बनने वाले पूरे डोनबास क्षेत्र पर अपने नियंत्रण के लिए रूस की सेना ने यूक्रेनी बलों को घेरने की कोशिश शुरू कर दी है। स्थानीय अधिकारी के मुताबिक, होस्तोमेल इलाके से 400 से ज़्यादा लोगों के लापता होने की खबर है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि रूस पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध नाकाफी है। ये प्रतिबंध रूस को युद्ध रोकने की इजाजत नहीं देते।
भारत का रुख
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि खून बहाकर और मासूमों को मारकर किसी भी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। इससे पहले बूचा नरसंहार पर भारत की ओर से निंदा की गई थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा है कि इस ममले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
उधर फ्रांस में यूरोपियन यूनियन की बैठक हुई है। इसमें रूस पर गैस और ऑयल को लेकर बैन लगाने की तैयारी की जा रही है।