जनतंत्र डेस्क, Uttarakhand: लंबे समय से विरोध के बाद उत्तराखंड की धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले को पलटते हुए बोर्ड को भंग कर दिया। देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे थे। जिसके बाद अब धामी सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है। जब त्रिवेंद्र रावत देवस्थानम बोर्ड लेकर आए थे तभी से पूर्व सीएम के इस फैसले का भारी विरोध हो रहा था। माना जा रहा है त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी जाने के पीछे भी देवस्थानम बोर्ड पर संतो की नाराजगी है।
जनवरी साल 2020 में देवस्थानम बोर्ड का गठन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने किया था। बोर्ड गठन के साथ ही 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था। वहीं, उत्तराखंड के चार धाम केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ का भी नियंत्रण भी सरकार के पास आ गया था। तब से ही तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे।
इसी साल पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया गया। इस मसले पर सीएम ने कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का वादा किया था।
बोर्ड के खिलाफ पीएम मोदी के दौरे का विरोध
देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद से ही तीर्थ पुरोहित नाराज थे। उनकी नाराजगी इतनी बढ़ गई थी कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे का विरोध भी किया था।
‘सभी के हित में देवस्थानम बोर्ड’
बोर्ड का गठन करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हमेशा इसके समर्थन में रहे हैं। उन्होंने दावा किया था कि देवस्थानम बोर्ड से देश ही नहीं, बल्कि विश्व के तमाम हिंदु आस्थावानों को इसका फायदा होगा। उन्होंने कहा, इस बोर्ड का सभी मंदिरों के पुरोहित समर्थन कर रहे हैं, बस कुछ लोग ही हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं। अब धामी सरकार ने भारी विरोध के बाद देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया।