नई दिल्ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। कोर्ट ने मध्यस्थता रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि अगले महीने की 2 अगस्त तारीख को तय होगा कि इस मामले में रोजाना सुनवाई होगी या फिर मध्यस्थता के जरिए ये केस सुलझाया जाए।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले के एक पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने कुछ दिन पहले कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि मध्यस्थता कमेटी इस मामले को सुलझाने में कोई खास प्रगति नहीं कर पाई है। इसी के चलते उन्होंने सुप्रीम रकोर्ट से मामले की रोजाना सुनवाई करने का आग्रह किया। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले दिनों कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी से रिपोर्ट मांगी थी। आज यानी गुरुवार को इसी रिपोर्ट पर सुनवाई हुई।
कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी को 31 जुलाई तक का समय दिया है। इसके बाद 2 अगस्त को दोपहर 2 बजे खुली कोर्ट में सुनवाई होगी। 2 अगस्त को ये तय होगा कि अयोध्या भूमि विवाद में मध्यस्थता के जरिए मामला सुलझाया जाए, या फिर रोजाना सुनवाई होगी।
बता दें कि कोर्ट में मध्यस्थता को लेकर याचिका दाखिल करने वाले गोपाल सिंह विशारद का कहना है कि अगर मध्यस्थता कमेटी इस मामले को नहीं सुलझा पा रही है तो इससे समय की ही बर्बादी हो रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को ही इस मामले में दखल देना चाहिए, क्योंकि मध्यस्थता के जरिए ये मामला सुलझाया जाना मुश्किल है।
कोर्ट ने बनाई थी मध्यस्थता कमेटी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने मध्यस्थता कमेटी बनाकर इस मामले को सुलझाने की पहल की थी। कोर्ट का कहना था कि अपसी सहमति से अगर ये मामला सुलझाया जाता है तो ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि ये एक आस्था का विषय है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता कमेटी बनाई गई थी। पहले शुरुआत में कमेटी को दो महीने यानी 8 हफ्ते दिए गए, फिर ये अवधि अगले 13 हफ्तों यानी 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई थी। अब इसे 31 जुलाई कर दिया गया है।