दिल्ली के सीएम केजरीवाल हुए सख़्त , आज से दिल्ली में नो एंट्री , सात दिन के लिए राजधानी के सभी बॉर्डर सील
आज से दिल्ली के सभी बॉर्डर एक हफ्ते के लिए सील रहेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना मरीजों के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए यह ऐलान किया है . देश में लॉकडाउन 5.0 का आज दूसरा दिन है, इसे अनलॉक 1 का नाम दिया गया है। पिछले दो महीने से देशभर में लागू पाबंदियां अब धीरे-धीरे हटने लगी हैं। इसका नतीजा दिल्ली के सभी बॉर्डर पर घंटो जामका नज़ारा देखने को मिला। सभी बॉर्डर पर आवागमन के कारण लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई , जिसे देखते हुए दिल्ली सरकार को ये फैसला लेना पड़ा।
दिल्ली के बॉर्डर सील
राजधानी दिल्ली से सटे इलाकों से काम के लिए आने वालों के लिए लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि आज से अगले एक हफ्ते तक दिल्ली के बॉर्डर सील हैं. हालाकिं, पास वालों को एंट्री मिलेगी। लेकिन ये आमलोगों के पास नहीं है। जिनके पास प्रशासन द्वारा जारी पास होगा या फिर वो जरूरी क्षेत्र में कार्य करते होंगे.
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 5.0 में कई छूट दिए हैं। हलाकि, राज्य सरकार को ये अधिकार दिया गया है की कोई भी सरकार अपने राज्य के हालात के अनुसार रियायतें दे सकता है। केंद्र सरकार के अनुसार,एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर किसी तरह की रोक नहीं है. इसी के तहत हरियाणा ने दिल्ली से सटे अपने बॉर्डर को खोल दिया था, लोग गुरुग्राम-फरीदाबाद से दिल्ली आ सकते थे। लेकिन उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद ने दिल्ली से सटे बॉर्डर को बंद ही रखा.
मुख्यमंत्री का ऐलान
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर मीडिया से बात चीत के दौरान दिल्ली की स्थिति से अवगत कराया, और अंत में सभी बॉर्डर को एक हफ्ते के लिए सील करने का ऐलान कर दिया। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “इस बारे में वह जनता से सुझाव मांगते हैं और शुक्रवार की शाम तक लोग अपने सुझाव भेज सकते हैं. साथ ही इसबात पर भी सुझाव मांगे गए हैं कि कोरोना संकट के बीच दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों को ही इलाज की प्राथमिकता दी जाए.
दफ्तर वालों के लिए मुश्किलें
गौरतलब है कि दिल्ली में सभी तरह के दफ्तर खुलना शुरू हो गए हैं, फिर चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी। अब ऐसे में बॉर्डर सील करने क फैसले से कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। वहीँ सोमवार को दिल्ली के बॉर्डर पर लम्बे जाम को देखते हुए सरकार को ये फैसला लेना पड़ा।
फैसले को लेकर राजनीति बयानबाज़ी भी तेज़ हुई है, भारतीय जनता पार्टी ने इस फैसले को गलत बताया है और कहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है ऐसे में इसे बंद नहीं किया जा सकता है. तो वहीं AAP ने इसे दिल्ली वालों के हित में फैसला बताया है.