Mizoram : म्यांमार से घुसपैठ को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने भारत और म्यांमार बॉर्डर पर बाड़ेबंदी और पड़ोसी देश म्यांमार से मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय किया था। केंद्र सरकार के फैसले के विरुद्ध मिजोरम विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें केंद्र सरकार से निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया है। सनद रहे कि राज्य के गृहमंत्री सपडांगा ने इसे सदन में पेश किया।
गृहमंत्री सपडांगा ने क्या कहा?
राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए गृहमंत्री सपडांगा ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत-म्यांमार बॉर्डर का सीमांकन किया और जातीय लोगों की भूमि को 2 देशों में विभाजित कर दिया। ‘जो जातीय’ लोग, सदियों से मिजोरम और म्यांमार की चिन पहाड़ियों में बसे हुए हैं और जो कभी अपने प्रशासन के तहत एकसाथ रहते थे। अंग्रेजों के भारत में कब्जा करने के बाद उन्होंने लोगों को 2 देशों में बांट दिया।
पुनर्मिलन का सपना देख रहे हैं
गृहमंत्री सपडांगा ने कहा कि ‘जो जातीय’ लोग भारत-म्यांमार बॉर्डर को स्वीकार नहीं कर सकते, जिसे अंग्रेजों ने थोपा था। वे एक ही प्रशासनिक इकाई के तहत पुनर्मिलन का सपना देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना या एफएमआर को समाप्त करना इनके हित में नहीं है। ‘जो जातीय’ के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
पूरी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ेबंदी की जाएगी
सनद रहे कि गृहमंत्री अमित शाह ने 6 फरवरी को घोषणा की थी कि पूरी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ेबंदी की जाएगी। 2 दिन बाद 8 फरवरी को अमित शाह ने कहा कि केंद्र ने देश की आंतरिक सुरक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत-म्यांमार एफएमआर को समाप्त करने का निर्णय किया है।
यह भी पढ़ें – केरल से बाहर कांग्रेस-कम्युनिस्ट गहरे दोस्त : पीएम मोदी