नई दिल्ली: कहते हैं कि अगर इंसान में कुछ करने की, कुछ पाने की प्रबल इच्छा हो, तो भले ही आपके सामने कितनी भी परेशानियां और अभाव क्यों न आए, लेकिन आप हर परेशानी को पार करते हुए अपनी मंजिल को पाने में कामयाब हो ही जाते हो। ऐसी ही अपनी मंजिल को पाने की प्रेरणा देता है 18 साल का लेखराज।
18 साल का लेखराज राजस्थान के भीलन गांव का रहने वाला है। लेखराज ने पहली बार जी मेन की परीक्षा पास की है। लेखराज के माता-पिता यहां झालावाड़ के मोगायबेह भीलन गांव के मनरेगा मजदूर हैं। लेखराज के परीक्षा पास करने से पहले उन्हें ये भी नहीं पता था कि इंजीनियर किसे कहते हैं।
खुद लेखराज भी इस बात को मानते हैं कि वह खुद भी जेईई-मेन परीक्षा के बारे में नहीं जानते थे, लेकिन इस साल जेईई मेन में चयनित होने वाले वह अपने आदिवासी गांव के पहले शख्स हैं। लेखराज कहते हैं कि मेरे माता-पिता सोचते थे कि उनका बेटा पढ़लिखकर उन्हें मजदूरी के काम से निकाल लेगा, अब लगता है कि शायद उनका ये सपना पूरा हो जाएगा।
बेटे की सफलता पर पिता मांगीलाल का कहना है कि उन्हें नहीं पता था कि इंजीनियर होता क्या है। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि मेरा बेटा ग्रेजुएट हो जाएगा। आज मैं ये सोचकर खुश हूं कि मेरा बेटा भेल समुदाय और गांव में पहला इंजीनियर बनने जा रहा है।
लेखराज अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षक जसराज सिंह गुर्जर, अपने प्रिंसिपल और कोटा में अपने कोचिंग संस्थान के निदेशक को देते हैं। लेखराज की सफलता पर उनके टीचर का कहना है कि लेखराज पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन उसे ये पता नहीं था कि उसे करियर कहां बनाना है। अब जबकि उसने जेईई परीक्षा पास कर ली है, तो हम बहुत खुश हैं।