नई दिल्ली : कोरोना काल के दौरान बनाये गए पीएम केयर्स फंड को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे है। इसी बीच अब 100 पूर्व नौकरशाहों ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर दर्ज की है। सभी नौकरशाहों का कहना है कि जिस इरादे से पीएम केयर्स फंड को बनाया गया था, उसके उद्देश्य कहीं न कहीं भटक गए है।
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पीएम केयर्स फंड में पारदर्शिता का अभाव
आपको बता दें कि इन नौकरशाहों ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा है कि इसमें पारदर्शिता का अभाव है। साथ ही इसके लिये उन्होने सीधे पीएम नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि चूंकि इस फंड में जिस तरह के पैसे लिये गए फिर खर्च किये गए-उसको लेकर डाटा सार्वजनिक करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि पीएम पद की गरिमा के अनुरुप पारदर्शिता अपनाकर एक संदेश दिया जाना चाहिये। दरअसल सौ पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को लिखे एक खुले पत्र में पीएम-केयर्स निधि में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जवाबदेही के मानकों के पालन के मद्देनजर प्राप्तियों और खर्चों का वित्तीय ब्योरा उपलब्ध कराना जरूरी है।
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पत्र लिखने वालों में ये है शामिल
बता दें कि जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने दस्तक दी तो सरकार ने हर स्तर पर मोर्चा लेने के लिये तैयारी शुरु कर दी। जिसमें फंड की कमी न हो इसके लिये पीएम नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड बनाया। इस फंड को उस समय उदोगपतियों से लेकर आमजनों तक ने ने हाथों-हाथ लिया। महज 5 दिनों में ही 3076 करोड़ जमा हुए थे। पीएम को पत्र लिखने वालों में पूर्व आईएएस अधिकारियों अनिता अग्निहोत्री, एस पी अंब्रोसे, शरद बेहार, सज्जाद हासन, हर्ष मंदर, पी जॉय ओमेन, अरुणा रॉय, पूर्व राजनयिकों मधु भादुड़ी, के पी फाबियान, देब मुखर्जी, सुजाता सिंह और पूर्व आईपीएस अधिकारियों ए एस दुलात, पी जी जे नंबूदरी तथा जूलिया रीबीरो आदि शामिल है।