नई दिल्ली : 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सितारमण वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश करने जा रही हैं। बजट में अक्सर कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है जिनको हम नहीं समझ पाते हैं क्योंकि वे हमारी आम दिनचर्या में कम इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे में हम लेके आए हैं, आपके लिए एक खास पेशकश जिससे 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट को समझने में आपको आसानी होगी।

Finance Minister Nirmala Sitharaman आज पेश करेंगी देश का आम बजट
बैलेंस बजट
बैलेंस बजट शब्द की जानकारी हर किसी को नहीं है। बैलेंस बजट तब होता है जब सरकार का खर्चा और कमाई दोनों ही बराबर होता है।
विनिवेश
सरकार अगर किसी सेक्टर में अपनी हिस्सेदारी को निजी क्षेत्र में बेच देती है, तो उसे विनिवेश कहा जाता है। ये हिस्सेदारी किसी निजी कंपनी और किसी एक व्यक्त्ति को बेची जा सकती है। सरकार ये हिस्सेदारी शेयरों के जरिए बेचती है।
कस्टम ड्यूटी
किसी दूसरे देश से जब कोई भी सामान आता है तो उस पर जो भी कर लगता है उसे कस्टम ड्यूटी कहते हैं, दूसरे शब्दों में इसे सिमा शुल्क भी कहा जाता है। ये कर या शुल्क तब लगता है जब समुद्र या हवा के रास्ते भारत में सामान उतारा जाता है।
बांड
बांड जब केंद्र सरकार के पास पैसों की कमी हो जाती है, तो वो बाजार से पैसा जुटाने के लिए बांड जारी करती है। ये एक तरह का कर्ज होता है, जिसकी अदायगी पैसा मिलने के बाद सरकार द्वारा एक तय समय के अंदर की जाती है, इस बांड को कर्ज का सर्टिफिकेट भी कहते हैं।
राजकोषीय घाटा
सरकार द्वारा लिया जाने वाला अतिरिक्त कर्ज राजकोषीय घाटा कहलाता है। देखा जाए तो राजकोषीय घाटा घरेलू कर्ज पर बढ़ने वाला बोझ ही है। जिससे सरकार आय और खर्च के अंतर को दूर करती है।
बैलेंस ऑफ पेमेंट
केंद्र सरकार का राज्य सरकारों और विश्व के अन्य देशों में मौजूद सरकारों द्वारा जो भी वित्तीय लेनदेन होता है, उसे बजट भाषा में बैलेंस ऑफ पेमेंट कहा जाता है।
प्रत्यक्ष कर
व्यक्त्तियों और संगठनों की आमदनी पर लगाये जाने वाला करप प्रत्यक्ष कर कहलाता है। निवेश, वेतन, ब्याज, आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स ये सभी प्रत्यक्ष कर के तहत आते हैं।
अप्रत्यक्ष कर
ग्राहको द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उनपर लगाया जाने वाला टैक्स अप्रत्यक्ष कर कहलाता है। जीएसटी, कस्टम्स ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि अप्रत्यक्ष कर के तहत आते हैं।
आयकर छूट
टैक्सपेयर की वे इनकाम जो टैक्स के दायरे में नहीं आती, यानी जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता।
वित्त वर्ष
ये वित्तीय साल होता है, जो कि 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। फिलहाल सरकार वित्त वर्ष को बदलने पर विचार कर रही है।
असेसी
उस व्यक्ति को कहते है तो इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स भरने के लिए उत्तरदायी होता है।
कैपिटल असेट
जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल असेट कहलाती है। ये बांड, शेयर मार्केट और कच्चा माल में से कुछ भी हो सकता है।
शार्ट टर्म कैपिटल असेट
शार्ट टर्म कैपिटल असेट 36 महीने से कम समय के लिए जाने वाले पूंजीगत एसेट्स को शार्ट टर्म कैपिटल असेट कहते हैं।
विकास दर
सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पाद और देश में दा जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है।
वित्त विधेयक
इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विच से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं। इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है।
कर निर्धारण साल
ये कर निर्धारण साल होता है, जो किसी वित्तीय साल का अगला साल होता है, जैसे 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक होगा।