जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: पूर्वोत्तर में सेना को स्पेशल पावर देने वाला कानून AFSPA को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों का दायरा कम करने का फैसला किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट में यह जानकारी दी।
अमित शाह ने लिखा- AFSPA के इलाकों का दायरा घटाने में सरकार के शांति लाने के लिए किए जा रहे प्रयास मददगार रहे हैं। इन इलाकों में उग्रवाद भी नियंत्रण बढ़ा है। कई समझौतों के कारण सुरक्षा के हालात और विकास ने भी कानून हटाने में मदद की।
सेना के हाथों मारे गए थे 13 लोग
साल 2021 में सेना के हाथों नागालैंड में 13 लोग मारे गए थे। जिसके बाद से ही AFSPA हटाए जाने की मांग तेज हो गई थी। हालांकि केंद्र ने इस कानून को निरस्त करने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन इसका दायरा कम कर दिया है।
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इन क्षेत्रों में लागू AFSPA
यह एक्ट मणिपुर में (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़ कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगदिंग और तिरप जिलों में, असम से लगने वाले उसके सीमावर्ती जिलों के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों के अलावा नगालैंड और असम में लागू है।
AFSPA को समझें
AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।