नई दिल्ली : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट सत्र में एक के बाद एक लगातार कई महत्वपूर्ण विधेयक सरकार द्वारा पेश किये जा रहे हैं और उन विधेयकों को लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा से भी मंजूरी प्राप्त हो रही है। तीन तलाक और मोटर व्हीकल एक्ट सहित कई अन्य विधेयकों के दोनों सदनों से पास होने के बाद आज लोकसभा में सरकार द्वारा एक और महत्वपूर्ण विधेयक को पेश किया गया, जिसके बाद लोकसभा से ये विधेयक भी पास हो गया। राज्यसभा से ये विधेयक पहले ही पास हो चुका है। इस विधेयक में यौन अपराध को लेकर मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है, जिससे बच्चों के प्रति बढ़ रहे यौन अपराध पर नकेल कसा जा सके।
दरअसल सरकार की तरफ से आज यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 को पेश किया गया, जिसके बाद लोकसभा से ये बिल पास हो गया। विधेयक में शामिल प्रावधानों का विपक्ष के भी कई सदस्यों ने स्वागत किया, लेकिन विधेयक में मृत्युदंड के प्रावधान पर पुनर्विचार करने की मांग की। बता दें कि विधेयक में प्रावधान किया गया है कि नाबालिग के खिलाफ गंभीर यौन अपराध के साबित होने पर दोषी को कम से कम 20 वर्ष की कठिन कारावास की सजा सुनायी जाएगी। इसमें ऐसे अपराध के लिए आजीवन कारावास, मृत्युदंड और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है।
बिल की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि विधेयक में अश्लील प्रयोजनों के लिए बच्चों का उपयोग (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) को परिभाषित किया गया और इस पर काबू के लिए भी प्रावधान किया गया है। ईरानी ने बताया कि चिंता का विषय मात्र यह नहीं है कि बच्चों के शोषण की वीडियो देखी जा रही हैं, बल्कि चिंता इस बात की भी है कि इन्हें कौन फैला रहा है। उन्होंने कहा कि विधेयक में प्राकृतिक आपदाओं के समय बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों के मामले में भी प्रावधान किये गये हैं।