- Auto Sector की हालत खराब
- ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से मांग
- वाहनों की जीएसटी दरों में कटौती
नई दिल्ली- देश के ऑटो सेक्टर (Auto Sector) की हालत करीब एक साल से खराब है। ऑटो सेक्टर में महीनों से जारी मंदी की वजह से कंपनियों को प्रोडक्शन बंद करना पड़ा और बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। आगे इस सेक्टर की गाड़ी किस तरह से रफ्तार पकड़ेगी इसके लिए इस सेक्टर के दिग्गजों की नजर अगले बजट और वित्त मंत्री के भाषण पर होगी ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से मांग की है कि इस सेक्टर को संकट से उबारने के लिए साहसिक वित्तीय कदम उठाए जाने की ज़रुरत है। ऑटो इंडस्ट्री की और क्या है प्रमुख मांगे और बजट से उम्मीदे।
बीते एक साल से देश के ऑटो सेक्टर की सेहत खराब होती जा रहा है। सेक्टर में महीनों से जारी मंदी के चलते कंपनियों को उत्पादन बंद करना पड़ा यही नहीं बड़े पैमाने पर सेक्टर में छंटनी की गई। ऑटो सेक्टर की सेहत सुधारने के लिए दिग्गजों की नजर आगामी बजट टिकी है। ऑटो सेक्टर में सुधार के लिए वित्त मंत्री से 2020-21 के बजट में इंडस्ट्री को काफी उम्मीद है।
साहसिक सुधारों की ज़रुरत
न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों से मिली जानकारी में सामने आया कि ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से मांग की है कि इस सेक्टर को संकट से उबारने के लिए साहसिक वित्तीय कदम उठाए जाएं. साल 2019 के दौरान ऑटो सेक्टर की बिक्री में दो दशकों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी।
- वित्त मंत्री से ऑटो इंडस्ट्री की प्रमुख मांग
- दरों में कटौती
ऑटो इंडस्ट्री की प्रमुख मांगों में से एक है वाहनों की जीएसटी दरों में कटौती ऑटो इंडस्ट्री सरकार से यह मांग कर रही है कि अप्रैल के बाद BS-VI वाहनों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दिया जाए। गौरतलब है कि जीएसटी दरें घटाने का निर्णय जीएसटी काउंसिल करता है और यह बजट से सीधे जुड़ा हुआ नही है, लेकिन वित्त मंत्री इसका संकेत दे सकती हैं।
बजट से ऑटो इंडस्ट्री की मांग
ऑटो लोन के ब्याज पर मिले इनकम टैक्स छूट
मंदी से जूझ रही ऑटो इंडस्ट्री यह भी मांग कर रही है कि होम लोन की तर्ज पर ऑटो लोन पर भी चुकाए जाने वाले ब्याज के बदले इनकम टैक्स में छूट दी जाए ताकि लोग वाहन खरीदने के लिए प्रोत्साहित हों।
- बजट से ऑटो इंडस्ट्री की मांग
- BS-VI वाहनों पर घटे जीएसटी
सूत्रों के मुताबिक BS-VI एमिशन मानक लागू करना और एमिशन में कटौती की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इस पहल से वाहनों की लागत 8 से 10 फीसदी बढ़ गई है। लागत की वजह से वाहनों की मांग में और कमी आई है।
- बजट से ऑटो इंडस्ट्री की मांग
- लीथियम ऑयन बैटरी सेल पर आयात कर हो खत्म
ऑटो इंडस्ट्री की दूसरी प्रमुख मांग लीथियम ऑयन बैटरी सेल पर आयात कर खत्म करना है ताकि बैटरी पैक का निर्माण देश में ही हो सके और देश में सेल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाए जा सकें। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत घटेगी और देश में हरित यातायात को बढ़ावा मिल सकेगा।
- बजट से ऑटो इंडस्ट्री की मांग
- शहरी विकास मंत्रालय को मिले पर्याप्त बजट
ऑटो इंडस्ट्री वित्त मंत्री से ये भी मांग कर रही है कि शहरी विकास मंत्रालय को पर्याप्त बजट मुहैया कराया जाए ताकि राज्य परिवहन और दुसरे सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा मिले सके। इससे बसों, वैन आदि की बिक्री बढ़ सकती है। इसके अलावा इंडस्ट्री ने नए वाहनों पर रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को भी हमेशा के लिए खत्म करने की मांग की है।
- ऑटो इंडस्ट्री की सेहत
- SIAM के आंकडे
SIAM यानि सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के आंकडे बताते है कि, बीते साल सभी तरह के वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है। 2019 में कुल 2 करोड 30 लाख 73 हज़ार 438 वाहनों की बिक्री हुई जो 2018 के 2 करोड 67 लाख 58हजार 787 वाहनों के मुकाबले 13.77 फीसदी ज्यादा है. यह साल 1997 के बाद यानी 22 साल की सबसे बड़ी गिरावट है। इसके पहले 2007 में वाहनों की बिक्री में 1.44 फीसदी की गिरावट देखी गई थी।