नई दिल्ली: राज्यसभा में शुक्रवार को विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) (UAPA) संशोधन विधेयक पर चर्चा की जा रही है। इसमें आतंक से संबंधित संगठन के अलावा किसी भी शख्स को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल है। इस बिल को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जवाब दिया।
UAPA संशोधन बिल राज्यसभा से पास
UAPA बिल पर गृह मंत्री का जवाब
गृहमंत्री अमित शाह ने UAPA बिल पर बोलते हुए कहा कि आंतकवाद के खिलाफ इस बिल पर सदन के अंदर सभा को एकमत होना चाहिए था तो देश में अच्छा संदेश जाता। उन्होंने कहा, ‘NIA ने ज्यादा मामले में सजा दिलाई है और यह दर करीब 91 फीसदी है जो कि दुनिया की किसी भी एजेंसी से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि किसी भी केस में चार्जशीट दाखिल न करने की वजह से कोई दोष मुक्त नहीं हुआ है। अमित शाह का कहना था कि NIA के पास काफी जटिल मामले आते हैं। उन्होंने कहा कि संस्था व्यक्ति से ही बनती है और इसी वजह से अब व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जाए ताकि वह व्यक्ति किसी और नाम से दूसरी संस्था न बना पाए।
कुछ नहीं करोगे, तो कुछ नहीं होगा: अमित शाह
HM Amit Shah: Digvijaya Singh ji seems angry, it is natural, he just lost elections…he said 'in 3 cases of NIA no one was punished.' I will tell you why, because earlier in these cases political vendetta was done&attempt was made to link a particular religion to terror #UAPA pic.twitter.com/h1VI1AIhYh
— ANI (@ANI) August 2, 2019
अमित शाह ने UAPA पर बोलते हुए कहा कि अगर यासीन भटकल को पहले ही आतंकी घोषित कर दिया होता तो कई लोगों की जान बच जाती, लेकिन हमने सिर्फ उसके संगठन को बैन किया था। अमित शाह ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का नाम लेकर कहा कि दिग्विजय सिंह जी अगर आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा। इस पर दिग्विजय सिंह ने जवाब देना चाहा, लेकिन सभापति की ओर से इजाजत नहीं दी गई।
1967 में बनाया गया था UAPA कानून
बता दें कि पहले विधि विरुद्ध क्रियाकलाप का कानून (UAPA) 1967 में बनाया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1980 के राजीव गांधी सरकार टाडा कानून लेकर आई थी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दुरुपयोग और स्थिति को महसूस किया और पोटा कानून आया। 2004 में यूपीए सरकार पोटा के दुरुपयोग को देखते हुए इसमें विधिविरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम लेकर आई। 2012 में यूपीए सरकार ने दुरुपयोग को देखकर इसमें संशोधन किया था और अब आप इस कानून में संशोधन लेकर आए हैं।