नई दिल्ली- मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किये जाने के प्रस्ताव का चीन ने संयुक्त राष्ट्र में भले ही समर्थन किया हो, लेकिन चीन का भारत को लेकर रूख में कोई परिवर्तन नज़र नहीं आ रहा है। भारत बीते कई सालों से न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में प्रवेश की कोशिशों में जुटा है, लेकिन चीन हर बार अडंगा डाल देता है। एक बार फिर चीन ने भारत के एनएसजी में एंट्री का विरोध कर भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
भारत के प्रवेश का विरोध क्यों?
चीन ने एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध करते हुए कहा है कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत के प्रवेश पर तब तक चर्चा नहीं होगी जब तक इस समूह में परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (एनपीटी) से बाहर के देशों की भागीदारी को लेकर एक स्पष्ट योजना तैयार नहीं हो जाती। चीन की मांग है कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में सिर्फ उन्हीं देशों को प्रवेश दिया जाये, जिन देशों ने परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए हैं।
क्या है एनसीजी?
दरअसल, एनएसजी 48 देशों का एक समूह है जो वैश्विक परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है। भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भारत द्वारा आवेदन करने के बाद पाकिस्तान ने भी साल 2016 में इसके लिए आवेदन कर दिया था। चीन तभी से ही भारत के NSG में प्रवेश का विरोध करता रहा है।
सौजन्य- दैनिक खबर