नई दिल्ली : कोरोना वायरस के (Corona In India) खिलाफ सभी देश अपने तरीके से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।वहीं सभी लोग अपने देश की मदद के लिए कुछ न कुछ कर रहें ऐसे ही भारत में इस चुनौती भरे समय में लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं,इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ‘PM-Cares Fund’ की शुरुआत की गई, जिसमें कई उद्योगपतियों से लेकर आम लोगों ने मदद की अब जिस पर विवाद शुरू हो गया है।
Corona In India – फंड में दी जाने वाली राशि पर सवाल
विपक्ष की ओर से फंड में दी जाने वाली राशि पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं ,जबकि सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में इसके गठन की जांच की मांग की गई है।(Corona In India) दरअसल, पीएम केअर्स में दिए जाने वाली राशि को कॉरपोरेट मंत्रालय द्वारा CSR (कॉर्पोरेट-सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत माना जाएगा, जबकि मुख्यमंत्री फंड में दी जाने वाली राशि के साथ ऐसा नहीं है जिस पर विपक्ष सवाल उठा रहा है
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
वकील एमएल शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पीएम केअर्स को लेकर याचिका दायर की गई है, उन्होंने कहा है कि इसका गठन बिना किसी अध्यादेश या फिर गैजेट के आधार पर हुआ, बस सरकार ने एक नोटिफिकेशन निकाला और प्रधानमंत्री ने लोगों से मदद मांग ली।
ट्रस्ट के ट्रस्टी के बारे में पूछा
दायर याचिका में वकील ने इस ट्रस्ट के ट्रस्टी के बारे में पूछा है कौन है इसका ट्रस्टी और जानकारी मांगी है और काम करने के तरीके को पूछा है, याचिका में मांग की गई है कि इसकी जांच कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी टीम करे, चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस मामले को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनेगी।
CSR को लेकर सभी विपक्ष आमने सामने
इस ट्रस्ट के गठन से इतर एक सवाल और भी उठ रहा है. क्योंकि केंद्रीय कॉरपोरेट मंत्रालय की ओर से कहा गया कि पीएम केअर्स में इंडस्ट्री के द्वारा दी गई राशि को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी (CSR) के आधार पर मानी जाएगी, लेकिन अगर मदद की राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जाती है तो ऐसा नहीं माना जाएगा, इसी का अब आधार बना कर सभी विपक्ष दल मोदी सरकार को घेरने की कोशिश में लगी हुई हैं।
केंद्र के इस आदेश पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मांग की है कि जिस तरह पीएम केअर्स में दी जाने वाली राशि CSR मानी जा रही है, उसी प्रकार सीएम फंड में दी जाने वाली राशि को भी माना जाए. उनके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। इन विपक्षों के साथ ही कई अन्य पार्टियों के लोग भी सरकार से जवाब मांग रहे है।