पांच जजों की पीठ सुनाएगी Ram Mandir पर फैसला, जानिए पांच जजों के बारे में
नई दिल्ली : देश के सबसे पुराने विवादित मामले का आज पटाक्षेप होने वाला है। जी हाँ, अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फाइनल फैसला सुनाने जा रहा है। पांच जजों की पीठ आज राम मंदिर पर फैसला सुनाएगी, जिस पर देश भर की निगाहें टिकी हुई है। पांच जजों की पीठ में कौन-कौन जज शामिल हैं ? आइये जानते हैं उन जजों के बारे में।
रंजन गोगोई : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पांच जजों पीठ की अगुवाई कर रहे हैं। रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था। रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी. उन्होंने शुरुआत गुवाहाटी हाई कोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज भी बने। 2010 में वो पंजाब व हरियाणा कोर्ट में बतौर जज नियुक्त हुए, जिसके बाद 2011 में वो पंजाब व हरियाणा कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी बने। 23 अप्रैल, 2012 को जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एस.ए. बोबड़े) : जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े का नाम भी उन जजों में शामिल है, जो राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाली पांच जजों की पीठ में शामिल है। रंजन गोगोई के बाद अगले चीफ जस्टिस बनने वाले एस.ए. बोबड़े 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में लॉ की प्रैक्टिस की। 1998 में वरिष्ठ वकील भी बने। साल 2000 में उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर एडिशनल जज पदभार ग्रहण किया। इसके बाद वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली. जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे।
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाली पांच जजों की पीठ में शामिल है। 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभालने वाले डीवाई चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट में भी वह बतौर जज रह चुके हैं।
जस्टिस अशोक भूषण : उत्तर-प्रदेश के जौनपुर में जन्म लेने वाले जस्टिस अशोक भूषण 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने, जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की। इसके अलावा उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई पदों पर काम किया और 2001 में बतौर जज नियुक्त हुए। 2014 में वह केरल हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में चीफ जस्टिस बने। 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला।
जस्टिस अब्दुल नज़ीर : अयोध्या मामले की बेंच में शामिल जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की। उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की, बाद में वहां बतौर एडिशनल जज और परमानेंट जज कार्य किया। 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला।