Sabrimala Case : Supreme Court की 5 जजों की बेंच ने 7 जजों के बेंच को सौंपा मामला
नई दिल्ली : सबरीमाला (Sabarimala) मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सर्वोच्च अदालत ने 2018 में ही फैसला सुना दिया था। पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के जाने पर रोक हटाने का फैसला दिया था। अदालत के इसी फैसले पर कई पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं। इस फैसले को लेकर केरल में जोरदार विरोध भी हुआ था। इस मामले में कोर्ट से धार्मिक परंपराओं का सम्मान करने की मांग करते हुए 65 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। इन पर कोर्ट ने इस साल 6 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था।
5 जजों वाली बेंच ने 3:2 के अनुपात से इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा है
आपको बता दे कि आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सबरीमाला विवाद पर सुनाते हुए पांच जजों की बेंच ने 7 जजों की बेंच को सौंप दिया है । 5 जजों वाली बेंच ने 3:2 के अनुपात से इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा है। हालांकि इस दौरान सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश जारी रहेगा। अब इस मामले की सुनवाई 7 जजों की बेंच करेगी। कोर्ट ने कहा कि धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक ही परंपरा होनी चाहिए। मामले पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि धार्मिक प्रथाओं को सार्वजनिक आदेश, नैतिकता और भाग 3 के अन्य प्रावधानों के खिलाफ नहीं होना चाहिए। CJI ने कहा, पूजा स्थलों में महिलाओं का प्रवेश केवल इस मंदिर तक सीमित नहीं है।
मंदिर में युवा महिलाओं को जाने से रोकना लिंग के आधार पर भेदभाव है
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच के बहुमत से दिए फैसले में कहा गया था कि मंदिर में युवा महिलाओं को जाने से रोकना लिंग के आधार पर भेदभाव है। कोर्ट ने आदेश दिया था कि मंदिर में जाने से किसी महिला को नहीं रोका जा सकता है। बेंच की इकलौती महिला सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने बहुमत के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि धार्मिक मान्यताओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। हिंदू परंपरा में हर मंदिर के अपने नियम होते हैं।
केरल में फैसले के खिलाफ तेज़ आंदोलन हुआ था। इसके बाद कोर्ट ने फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई क। इन याचिकाओं में कहा गया है कि कोर्ट ने इस अहम बात की अनदेखी कर दी है कि भगवान अयप्पा को नैसिक ब्रह्मचारी माना जाता है। बता दें कि केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम से करीब 100 किलोमीटर दूर सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक उन्हें नैसिक ब्रह्मचारी माना जाता है। इसलिए, सदियों से वहां युवा महिलाओं को नहीं जाने की परंपरा रही है।