Ayodhya Case : अयोध्या विवाद के 70 सालों का इतिहास, अब जल्द आएगा फैसला
अयोध्या : अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद मामले में विवादित स्थल पर मूर्ति देखे जाने के बाद 1949 में पहली बार मामला कोर्ट पहुंचा. पिछले 70 सालों से लंबित यह मामला फैजाबाद की निचली अदालत से होते हुए पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. ये विवाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में ज़मीन के एक टुकड़े से संबंधित है. हिंदुओं की धारणा के अनुसार जिस जगह बाबरी मस्जिद थी वो हिंदू देवता राम का जन्मस्थान है।
अयोध्या मामले में कब क्या हुआ ?
- 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था।
- 1949 में बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति देखी गई थी जिसके बाद से ही दोनों पक्षों के लोग कोर्ट चले गए और विवादित स्थल पर ताला लगा दिया गया था।
- 1959 में निर्मोही अखाड़ा की ओर से विवादित स्थल के स्थानांतरण के लिए अर्जी दे दी गई थी।
- 1961 में यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद स्थल के मालिकाना हक के लिए अपील दायर की थी।
- 1986 में विवादित स्थल को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था और 1986 में ही बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया गया।
- 1989 में विश्व हिंदू परिषद ने राजीव गांधी सरकार की इजाजत के बाद बाबरी के पास राम मंदिर का गठन किया।
- 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने देशव्यापी रथयात्रा की शुरुआत की थी।
- 1991 में रथयात्रा की लहर से बीजेपी यूपी की सत्ता में आई थी।
- 6 दिसंबर 1992: अयोध्या पहुंचकर हजारों कार सेवकों ने बाबरी मस्जिद को थोड़ दिया था इसके बाद कई स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे हुए जिसमे पुलिस ने लाठी चार्ज और फायरिंग की जिसमे कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा और जल्दबाजी में एक राम मंदिर का निर्माण करना पड़ा उस समय के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद का दुबारा निर्माण करने का वादा किया था।
- 16 दिसंबर, 1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की जांच के लिए एमएस लिब्रहान आयोग का गठन किया गया।
- 1994: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस चलना शुरू हुआ।
- 4 मई, 2001: स्पेशल जज एसके शुक्ला ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 13 नेताओंं से साजिश का आरोप हटा दिया गया था।
- 1 जनवरी, 2002: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या विभाग शुरू किया इसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
- 1 अप्रैल 2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट के तीन जजों ने सुनवाई शुरू कर दी।
- 5 मार्च 2003: इलाहबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अयोध्या में खुदाई का निर्देश दिया,गया था ताकि मंदिर या मस्जिद का प्रमाण मिल सके।
- 22 अगस्त, 2003: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई के बाद इलाहबाद हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश किया इसमें कहा गया कि मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के मंदिर के प्रमाण मिले हैं मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे इस रिपोर्ट को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चैलेंज किया।
- सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।
- जुलाई 2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- 26 जुलाई, 2010: इस मामले की सुनवाई कर रही इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने फैसला सुरक्षित किया और सभी पक्षों को आपस में इसका हल निकाले की सलाह दी लेकिन कोई हल निकालने के लिए आगे नहीं आया।
- 28 सितंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
- 30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला।
- 9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।
- 21 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही।
- 19 अप्रैल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया गया था।
- 9 नवंबर 2017: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बड़ा बयान दिया था कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनना चाहिए, वहां से दूर हटके मस्जिद का निर्माण किया जाए।
- 16 नवंबर 2017: आध्यात्मिक गुरु श्री रविशंकर ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की कोशिश की, उन्होंने कई पक्षों से मुलाकात की।
- 5 दिसंबर 2017: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई कोर्ट ने 8 फरवरी तक सभी दस्तावेजों को पूरा करने का आदेश दिया गया था।
- 8 फरवरी 2018: सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की. लेकिन कोर्ट ने उनकी ये अपील खारिज कर दी थी।
- 14 मार्च 2018: वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कोर्ट से मांग कि साल 1994 के इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के फैसले को पुर्नविचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा जाए।
- 20 जुलाई 2018: सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा।
- 27 सितंबर 2018: कोर्ट ने इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के 1994 का फैसला, जिसमें कहा गया था कि ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार करते हुए कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा।
- 16 अक्तूबर 2019 : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई इस हफ़्ते अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रही है 17 अक्तूबर को सुनवाई पूरी हो जाएगी मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ 6 अगस्त से लगातार इस मामले की सुनवाई कर रही है।
- अगर मुख्य न्यायाधीश 17 नवंबर तक अयोध्या मामले पर फैसला नहीं देते हैं तो फिर इस मामले की सुनवाई नए सिरे से एक नई बेंच के सामने होगी. हालांकि इसकी संभावना कम ही दिखाई दे रही है।