नई दिल्ली : हिंदी दिवस पर देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश में एक ऐसे भाषा होनी चाहिए, जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर सके और हिंदी में ये सारी खूबियां हैं। अमित शाह के इस बयान के बाद से ही दक्षिण के राज्यों में उनके खिलाफ विरोध देखने को मिल रहा है। दक्षिण की विपक्षी पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यों पर जबरदस्ती हिंदी थोपना चाहती है और स्थानीय भाषाओं के अस्तित्व को खत्म करना चाहती है। वहीँ हिंदी पर जारी इस जंग में अब प्रसिद्द अभिनेता कमल हासन भी कूद चुके हैं।
अमित शाह के हिंदी वाले बयान पर विरोध जताते हुए कमल हासन ने कहा है कि कोई शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक वादा नहीं तोड़ सकता है। 1950 में जब भारत गणतंत्र बना तो ये वादा किया गया था कि हर क्षेत्र की भाषा और कल्चर का सम्मान किया जाएगा और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा। हासन ने कहा कि कई राजाओं ने अपना राजपाठ देश की एकता के लिए न्योछावर कर दिया, लेकिन लोग अपनी भाषा, कल्चर और पहचान को खोना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां लोग एक साथ बैठकर खाते हैं, किसी पर कुछ थोपा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि तमिल को लंबे समय तक जीने दो, देश को समृद्ध होने दो। उन्होंने ट्विटर पर वीडियो जारी कर उक्त बातें कही।
वहीं कमल हासन के बयान पर बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पलटवार किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि कमल हासन, एमके स्टालिन हिंदी थोपने की बात कर रहे हैं। तमिलनाडु में हिंदी ना पढ़ाने को लेकर वो क्या कहेंगे? हिंदी को भी तमिलनाडु में ऑप्शनल भाषा बनने देना चाहिए।