जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: बढ़ती महंगाई पर भले ही बात न हो रही हो लेकिन आम आदमी का इस महंगाई ने जीना मुहाल कर दिया। आम जनता इंतजार में है कि कब हर दिन बढ़ती कीमतों पर बहस होगी। लेकिन असल मुद्दों से ज्यादा जरूरी धार्मिक बहस हो गई हैं।
महंगाई ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। खाने-पीने के सामान, ईंधन और बिजली के दाम में इजाफा होने से थोक महंगाई लगातार 13वें महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर अप्रैल में 15.08% पर पहुंच गई। दिसंबर 1998 के बाद पहली बार थोक महंगाई दर 15% के पार पहुंची है। दिसंबर 1998 में ये 15.32% पर थी।
इससे पहले ये मार्च 2022 में ये 14.55% पर, जबकि फरवरी में 13.11% पर थी। अप्रैल 2021 से थोक महंगाई डबल डिजिट में बनी हुई है।
अप्रैल महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.35% रही है, जो मार्च 2022 में ये 8.06% पर थी। क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस के लिए अप्रैल में इंफ्लेशन 69.07% रहा। वहीं फ्यूल और पावर की महंगाई दर बढ़कर 38.66% पर जा पहुंची है, जो मार्च 2022 में 34.52% रही थी। मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई दर अप्रैल में 10.85% रही है, जो मार्च 2022 में 10.71% रही थी।
सब्जियों, गेहूं, फल और आलू की कीमतें अप्रैल में सालाना आधार पर तेजी से बढ़ी जिसके चलते खाने के सामान की महंगाई 8.35% रही। तेल और बिजली की बात करें तो इसमें 38.66% की महंगाई जबकि मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 10.85 और तिलहनों की 16.10% रही।
8 साल में सबसे ज्यादा रिटेल महंगाई दर
इससे पहले खाने-पीने के सामान से लेकर तेल के दाम बढ़ने से रिटेल महंगाई 8 साल के पीक पर पहुंच गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79% हो गई। मई 2014 में महंगाई 8.32% थी।
RBI की कोशिश रहती है महंगाई दर 6 फीसदी से ज्यादा न हो लेकिन दर लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महंगाई का लगातार बढ़ना खतरे का बड़ा संकेत है। पिछले साल की तुलना में देखें तो यह और भी बड़ा उछाल है। अप्रैल 2021 में महंगाई दर 4.23 प्रतिशत थी। इस बार महंगाई दर के इतना ऊपर जाने में बड़ी भूमिका खाने पीने की चीजों के दामों की है। अभी तक महंगाई से निपटने के लिए सरकार कोई प्लान, बैठक और नीति तैयार नहीं कर पाई है।