- मशहूर शायर Kaifi Azmi की 101 वीं जयंती
- उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था जन्म
- पद्म श्री पुरस्कार से किया गया था सम्मानित
नई दिल्ली- आज मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी (Kaifi Azmi) की 101वीं जयंती है। इस मौके पर Google ने डूडल के जरिए मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी को श्रद्धांजली दी। कैफ़ी आज़मी का जन्म 14 जनवरी 1919 में उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ हुआ। बता दे की कैफ़ी आज़मी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे।
Kaifi Azmi महात्मा गांधी से प्रेरित थे
कैफ़ी आज़मी महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से काफी प्रेरित थे। 11 साल की उम्र में उन्होंने पहली कविता लिखी थी। बता कि कुछ समय के बात कैफ़ी आज़मी काम करने के लिए मुंबई चले गए। कैफ़ी आज़मी का पहला प्रकाशन 1943 में ‘झंकार’ कविता के रुप में हुआ।
कैफ़ी आज़मी अपने बहतरीन लेखन के लिए जाने जाते थे। वे ज्यादातर सामाजिक आर्थिक सुधार पर लिखते थे। वहीं कैफ़ी आज़मी को उनके लेखन के लिए कई बार अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया। इन अवार्ड्स के साथ पद्म श्री पुरस्कार भी मिला।
कैफ़ी आज़मी कविता
“दूसरा बनबास” (Dusra Ban- Bas)
राम बन-बास से जब लौट के घर में आए
याद जंगल बहुत आया जो नगर में आए
रक़्स-ए-दीवानगी आँगन में जो देखा होगा
छे दिसम्बर को श्री राम ने सोचा होगा
इतने दीवाने कहाँ से मिरे घर में आए
जगमगाते थे जहाँ राम के क़दमों के निशाँ
प्यार की काहकशाँ लेती थी अंगड़ाई जहाँ
मोड़ नफ़रत के उसी राहगुज़र में आए
धर्म क्या उन का था, क्या ज़ात थी, ये जानता कौन
घर न जलता तो उन्हें रात में पहचानता कौन
घर जलाने को मिरा लोग जो घर में आए
शाकाहारी थे मेरे दोस्त तुम्हारे ख़ंजर
तुम ने बाबर की तरफ़ फेंके थे सारे पत्थर
है मिरे सर की ख़ता, ज़ख़्म जो सर में आए
पाँव सरजू में अभी राम ने धोए भी न थे
कि नज़र आए वहाँ ख़ून के गहरे धब्बे
पाँव धोए बिना सरजू के किनारे से उठे
राम ये कहते हुए अपने द्वारे से उठे
राजधानी की फ़ज़ा आई नहीं रास मुझे
छे दिसम्बर को मिला दूसरा बनबास मुझे