नई दिल्ली: केरल हाई कोर्ट के जज जस्टिस वी चिताम्बरेश ने 19 जुलाई को तमिल ब्राह्मण सम्मेलन को संबोधित किया। इस संबोधन में उन्होंने ब्राह्मण समुदाय से जातिगत आरक्षण के खिलाफ आंदोलन करने की अपील की। उन्होंने इस सम्मेलन में कहा कि आरक्षण आर्थिक स्थिति के आधार पर मिलना चाहिए, जातिगत आधार पर नहीं।
तमिल ब्राह्मण ग्लोबल सम्मेलन को संबोधित करते हुए चिताम्बरेश ने कहा “निश्चित रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण है, एक ब्राह्मण रसोइए का बेटा, यदि नॉन क्रीमी लेयर के दायरे में आता भी है तो उसे कोई आरक्षण नहीं मिलेगा, जबकि एक लकड़ी के व्यापारी का बेटा जो ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखता है, यदि वो नॉन क्रीमी लेयर के दायरे में आता है तो उसे आरक्षण मिलेगा। मैं यहां कोई राय नहीं दे रहा हूं, ये आपको सोचना-समझना है और आपको अपने विचार आगे रखने हैं।
इस सम्मेलन में उन्होंने ब्राह्मणों की विशेषताओं के बारे में भी खूब गुणगान किया। उन्होंने कहा, “आखिर ब्राह्मण कौन है? एक ब्राह्मण द्विजन्मना होता है…यानी कि दो बार जन्म लेने वाला, अपने पूर्व जन्म सुह्रद की वजह से वो दो बार जन्म लेता है।”
यहां उन्होंने ये भी साफ किया कि एक जस्टिस होने के नाते वह अपनी कोई राय जाहिर नहीं कर रहे हैं। वह सिर्फ आपमें रुचि जगा रहे हैं कि ये आपके लिए मंथन करने का वक्त है कि क्या आरक्षण सिर्फ समूह या जाति के आधार पर दिया जाना चाहिए?
चिताम्बरेश ने कहा, ‘अब वक्त आ गया है कि हम सामूहिक आवाज उठाएं, एकल गीत ना गाएं, वेदों की पाठशाला जो कम हो रही है उसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए, हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखने की जरूरत है।”