- 22 जनवरी को निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी
- पटियाला हाउस कोर्ट, ब्लैक वारंट जारी कर चुका है
- देश में पहली फांसी नाथुराम गोडसे को हुई थी
नई दिल्ली- ये सब जानते हैं कि 22 जनवरी को निर्भया के चारों दरिंदों को फांसी दी जायेगी लेकिन फांसी क्या होती है ? कैसे दी जाती है, फांसी के समय कौन-कौन लोग वहां होते हैं ?
जानिए फांसी की पूरी प्रक्रिया…
क्या अपने देश में कभी चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई है? फांसी देने से पहले क्या होता है? फांसी घर या फांसी कोठी में क्या होता है? फांसी के बाद क्या होता है? फांसी का गवाह कौन-कौन बनता है? ऐसे सैकड़ों सवाल हैं फांसी को लेकर जिनके जवाब हर कोई जानना चाहता है।
ये सारे सवाल इस वक्त चार लोगों की वजह से उठ रहे हैं, जिनके नाम हैं मुकेश, पवन, अक्षय, विनय। निर्भया के ये वो चार गुनहगार हैं, जिनके हिस्से में मौत की सजा आई है। मौत से बचने के इनके सारे कानूनी दरवाजे अब बंद हो चुके हैं। सिर्फ एक रहम का दरवाजा खुला है, महामहीम ऱाष्ट्रपति से दया याचिका लेकिन यहां भी रहम की उम्मीद ना के बराबर है।
पटियाला हाउस कोर्ट, ब्लैक वारंट पहले ही जारी कर चुका है। ब्लैक वारंट यानी मौत का आखिरी पैग़ाम, निर्भया के चारों दोषी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय आजाद हिंदुस्तान में फांसी पाने वाले 58वें. 59वें, 60वें और 61वें गुनहगार होंगे।
पहली फांसी महात्मा गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को हुई
देश में पहली फांसी महात्मा गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को हुई थी। जबकि आखिरी यानी 57वीं फांसी 2015 में याकूब मेमन को दी गई थी। निर्भया के चारों दोषियों को तिहाड़ जेल नंबर 3 में फांसी दी जानी है। तिहाड़ में आखिरी फांसी अफजल गुरु को दी गयी थी।
तिहाड़ के जेल नंबर तीन में जो फांसी कोठी है उस फांसी कोठी में पहली और आखिरी बार एक साथ दो लोगों को फांसी अब से 37 साल पहले 31 जनवरी 1982 को रंगा-बिल्ला को दी गई थी। चार लोगों को एक साथ फांसी तिहाड़ में कभी नहीं हुई। मगर निर्भया के गुनहगारों की तादाद चार है।
हालांकि देश में चार लोगों को एक साथ इससे पहले भी फांसी हो चुकी है। पुणे की यड़वडा जेल में 27 नवंबर 1983 को एक साथ चार गुनहगारों को फांसी दी गयी थी। जोशी अभयंकर केस के नाम से मशहूर दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकया गया था।
निर्भया की आत्मा को मिलेगी शांति….
तो क्या निर्भया के चारों गुनहगारों को भी एक साथ तिहाड़ में फांसी दी जा सकती है ? क्या चारों शैतान एक साथ इस दुनिया को अलविदा कहेंगे? ऐसा संभव है ? क्योंकि तिहाड़ जेल की फांसी कोठी के तख्ते की लंबाई करीब दस फीट है। यानी इतनी जगह काफी है।
जिसके ऊपर एक साथ निर्भया के चारों दोषियों को आसानी से खड़ा किया जा सके। फांसी के लिए तख्ते के ऊपर लोहे के रॉड पर चार फांसी के फंदे कसने होंगे। तख्ते के नीचे भी लोहे की रॉड होती है। जिससे तख्ता खुलता और बंद होता है। इस रॉड का कनेक्शन तख्ते के साइड में लगे लिवर से होता है। लिवर खींचते ही नीचे का रॉड हट जाता है और तख्त के दोनों सिरे नीचे की तरफ खुल जाते हैं।
जिससे तख्त पर खड़े शख्स के पैर नीचे कुएं में झूल जाते हैं। गले में कसे फंदे पर पूरा शरीर हवा में झूल जाता है। पैर के नीचे ज़मीन नहीं होती, फंदा गले में पूरी तरह कस जाता है और थोड़ी देर में ही दम निकलता जाता है। 22 जनवरी को सुबह 7 बजे इन 4 शैतानों की भी बिलकुल ऐसे ही फांसी दी जायेगी और जब इनका शरीर बेजान हो जायेगा तब जाकर मिलेगा निर्भया की आत्मा को शांति….