जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार वाली याचिका का आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने विरोध किया है। ASI ने हिंदू पक्ष की याचिका के खिलाफ कहा है कि कुतुब मीनार की पहचान नहीं बदली जा सकती और न ही पूजा का अधिकार दिया जा सकता है।
दरअसल, कुतुबमीनार में पूजा के अधिकार वाली याचिका पर आज दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई होनी है इससे पहले ASI ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। जिसमें कहा गया है कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं कानूनी तौर पर सही नहीं हैं। पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है। कुतुब मीनार को 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। उसकी पहचान बदली नहीं जा सकती और न ही अब वहां पूजा की अनुमति दी जा सकती है। संरक्षित होने के समय से यहां कभी पूजा नहीं हुई है।
कुतुब मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि ASI ने 13 मई से नमाज पढ़ना भी बंद करवा दिया है। मीनार के मेन गेट के दायीं ओर बनी मुगलकालीन छोटी मस्जिद में नमाज होती थी। 2016 में यहां दोबारा नमाज शुरू हुई थी। शुरुआत में यहां 4-5 लोग नमाज पढ़ते थे लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या 40 से 50 तक पहुंच गई थी।
खुदाई पर अभी कोई फैसला नहीं
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और एएसआई अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते साइट का दौरा किया था। जबकि अधिकारियों ने कहा कि यह दौरा नियमित था। पहले खबर आई थी कि कुतुब मीनार परिसर में खुदाई की जाएगी लेकिन बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कुतुब मीनार में खुदाई पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
हिंदू पक्ष की दलील
हिंदू पक्ष ने 120 साल पुरानी इसी मंदिर की बहाली की मांग की गई थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 1198 में मुगल सम्राट कुतुब-दीन-ऐबक के शासन में लगभग 27 हिंदू और जैन मंदिरों को अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और उन मंदिरों के स्थान पर इस मस्जिद को बनाया गया था।