रेप और हत्या का दोषी फांसी पर लटकने के 2 घंटे बाद भी रहा जिंदा
नई दिल्ली – कल यानी 20 मार्च को निर्भया केस के दोषियों को फांसी दी जाएगी। बता दे कि सात सालों के बाद आखिर निर्भया के दोषियों को कल फांसी दी जाएगी। वहीं देश में 1982 में ऐसे ही मामले में दो दोषियों को सजा दी गई थी। लेकिन फांसी के बाद दोषी ने 2 घंटे बाद भी दम नहीं तोड़ा था।
दरअसल 1978 में रंगा – बिल्ला (Ranga-Billa) ने एक भाई- बहन का अपहरण किया था। जिनका मकसद अपहरण कर फिरौती मांगने का था। लेकिन इन दोनों अपराधियों ने बहन का रेप कर और फिर दोनों की हत्या कर दी है। इस घटना के बाद देश में सदमे का माहौल था। वहीं उस समय देश के पीएम रहे मोरारजी देसाई भी इस घटना से काफी परेशान थे।
बता दे कि रंगा का असली नाम कुलजीत सिंह और बिल्ला का असली नाम जसबीर सिंह था। रंगा – बिला नाम के अपराधियों ने नौसेना के अधिकारी मदन चौपड़ा के बच्चे गीता और संजय का अपहरण किया था। बता दे गीता की उम्र 16 और संजय की उम्र 14 वर्ष थी।
वहीं जब ऐसे जघन्य अपराध के लिए जब 1982 में रंगा – बिल्ला (Ranga-Billa) को सजा दी गई तो एक अपराधी तो फांसी के बाद मर गया। पर दूसरा अपराधी 2 घंटे बाद तक जिंदा रहा। वहीं जब ऐसा हुआ तो जेल प्रशासन ने किसी को फांसी के तख्ते के नीचे भेजकर रंगा के पैरों को दोबारा खींचने का आदेश दिया। रंगा के पैरों को खींचा गया। तब जाकर उसकी मौत हुई। इस बात का जिक्र तिहाड़ जेल के पूर्व प्रवक्ता सुनील गुप्ता ने अपने किताब ब्लैक वारंट में किया है।