नई दिल्ली- आज यानि 19 नवंबर का दिन झांसी की Rani LakshmiBai की जयंती के रुप में बनाया जाता है। Rani LakshmiBai का जन्म 19 नवम्बर 1828 को बनारस में हुआ था। केवल 23 साल की उम्र में Rani LakshmiBai ने बलिदान और शौर्य का जो इतिहास लिखा था।
वहीं आने वाली कई सदियां सहासी Rani LakshmiBai को याद करेंगी। काशी में जन्मी मणिकर्णिका ( छबीली मनु) के झांसी की रानी बनने और फिर अंग्रेजों से लोहा लेने की कहानी बेहद रोमांचकारी है। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी। ये कविता रानी लक्ष्मी बाई के वीरता की गाथा बयां करती है।
1842 में 14 साल की उम्र में मणिकर्णिका का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ। कुछ समय बाद Rani LakshmiBai ने पुत्र को जन्म दिया जोकि केवल 4 महीने जीवित रह सका। जिसके बाद राजा गंगाधर ने अपने चचेरे भाई का बच्चा गोद लिया था। जिसका नाम दामोदार राव रखा गया।
राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद झांसी को एक बुरे दौर से गुजराना पड़ा था। इस समय रानी लक्ष्मी बाई एकदम अकेली पड़ गई थी इस दौरान अंग्रेज और अन्य राज्य झांसी पर हावी होने लगे थे। और मजबूर हो कर Rani LakshmiBai को इन सबका सामना करने मैदान में उतरना पड़ा था।
Rani LakshmiBai ने महिला सेना तैयार की जिसका नाम ‘दुर्गा दल’ दिया गया था, इस दल की प्रमुख उन्होंने अपनी हमशक्ल झलकारी बाई को बनाया। 1858 में युद्ध के दौरान अंग्रेज़ी सेना ने पूरी झांसी को घेर लिया और पूरे राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था।
जिस दौरान Rani LakshmiBai ने तात्या टोपे के साथ मिलकर ग्वालियर के एक किले पर कब्ज़ा किया। लेकिन 18 जून 1858 को अंग्रेज़ों से लड़ते हुए 23 साल की उम्र में रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई। Rani LakshmiBai की क्षमताओं का लोहा उनके प्रशंसक ही नहीं बल्कि उनके दुश्मन भी मानते थे।