नई दिल्ली : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने दावा किया था कि सरकार देश को 2025 तक 5 ट्रिलयन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएगी, लेकिन मौजूदा दौर में अर्थव्यवस्था की हालात देखें तो ये महज एक छलावे के और कुछ नहीं लगता है, जिसकी तस्दीक अर्थशास्त्री से लेकर कोरपोरेट के दिग्गज भी कर चुके है।
23 मई 2019 एक ऐतिहासिक दिन, जब मोदी सरकार को भारत की जनता ने प्रचंड जीत दिलाकर सत्ता चलाने का दौबारा मौका दिया। मोदी सरकार की वापसी ने देश की जनता के दिलों में उम्मीद और विकास की ऐसी हवा चलाई की हर कोई “सबका साथ-सबका विकास” का ही नारा लगाता दिखा। 5 जुलाई 2019 को मोदी सरकार के दुसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश हुआ। इस बजट में देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सितारमण से देश की जनता को बहुत उम्मीद थी। लगभग पूरा देश 5 जुलाई 2019 को सुबह के 11 बजे से ही अपनी टेलीविजन स्क्रीन से चिपकर बैठा था। टीवी चैनल्स की टीआरपी जितनी 5 जुलाई को बढ़ी थी उतना पूरे साल ना बढ़ी होगी। जनता एक टुक होकर इंतजार कर रहा था कि वित्त मंत्री के पिटारे से उनके लिए क्या तौहफा निकलेगा ? लेकिन वित्त मंत्री के बजट पिटारे में तो मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान निकला, जिसमें कुछ बाजिब तो कुछ गैर वाजिब थे। लेकिन एक बात जिसपर हर किसी का ध्यान गया वो सरकार द्वारा देश को 2025 तक 5 ट्रीलयन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाये जाने का वित्तमंत्री का बयान
इस बयान के बाद मोदी कैबिनेट के हर मंत्री की जबान पर सिर्फ एक ही नारा था कि 2025 तक देश 5 ट्रीलयन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा। सरकार एक ओर देश में विकास की बात कर रही है, भारत को 5 ट्रीलयन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कर रही है, लेकिन जो आंकड़े सामने आ रहे है वो विकास के नाम पर बन रहे छलावे की छवि ज्यादा दिखाते है।
बेरोजगारी 5 साल के न्यूनतम स्तर पर है। वित्तीय घाटे के आंकड़े क्या वाकई वहीं है जो बजट में दिखाए गए। कॉरपोरेट टैक्स घटा कर कॉरपोरेट जगत को रिझाने की कोशिश या फिर कुछ छिपाने की कोशिश। ऑटो कंपनियों के संगठन सियाम के आंकड़ों के मुताबिक लगातार आठ महीने से यात्री वाहनों की बिक्री में कमी आई है। NBFC कंपनियों में बढ़ता घोटाला, खास तौर पर il&fs और dhfl का घोटाला किसी से छिपा नहीं। बैंको के बढ़ते NPA, पंजाब नेशनल बैंक हो या फिर प्राइवेट सेक्टर का आईसीआईसीआई बैंक। देश से लोग विदेश जाने की सोचे तो H1B वीजा उन्हे रोक देता है। देश में रहने की सोचे तो आम आदमी सब्जियां तक तो खरीदने में हिच रहा है। विकास के विमान पर सवार होकर चंद्रयान पर जाना और चंद्रमा पर बसना अभी उतना ही दुर लगता है जितना दिल्ली में रह कर प्रधानमंत्री को देखना।
क्या ऐसे ही होता है विकास ? ये सवाल हम नहीं बल्की अब कॉरपोरेट जगत की ओर से उठ रहा है। हाल ही में ऑटो सेक्टर की टॉप कंपनियों में शुमार बजाज ऑटो के चेयरमैन राहुल बजाज ने केंद्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधा है। इसके साथ ही उन्होंने ऑटो इंडस्ट्री के बिगड़ते हालात पर भी चिंता जाहिर की है। बजाज ऑटो की आम वार्षिक बैठक यानि AGM में शेयर धारकों को संबोधित करते हुए राहुल बजाज ने कहा, ” ऑटो सेक्टर बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहा है। कार, कमर्शियल व्हीकल्स और टूव्हीलर्स सेग्मेंट की हालत ठीक नहीं है। कोई मांग नहीं है और कोई निजी निवेश भी नहीं है, तो ऐसे में विकास कहां से आएगा? क्या विकास स्वर्ग से गिरेगा? ”
इसके साथ ही राहुल बजाज ने इशारों में सरकार पर गुमराह करने का आरोप भी लगाया। 81 साल के बिजनेसमैन राहुल बजाज ने कहा, ” सरकार कहे या न कहे लेकिन IMF और वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन-चार सालों में विकास में कमी आई है। दूसरी सरकारों की तरह वे अपना हंसता हुआ चेहरा दिखाना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यही है।
राहुल बजाज के बेटे और कंपनी के एमडी राजीव ने भी इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर मोदी सरकार की योजनाओं पर सवाल खड़े किये। आम बजट पेश होने के बाद एक इंटरव्यू में राजीव बजाज ने कहा था कि यह सरकार रातोंरात सबकुछ बदल देना चाहती है। राजीव बजाज ने सरकार से पूछा था कि अगर कल को ग्राहक इलेक्ट्रिक व्हीकल मॉडल स्वीकार नहीं करते हैं, तो ऑटो इंडस्ट्री का क्या होगा? क्या हम दुकान बंद कर, घर बैठ जाएं?
ऑटो इंडस्ट्री बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है। ऑटो कंपनियों के संगठन सियाम के आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में गाड़ियों की घरेलू बिक्री 24.97 फीसदी घटी है। जून में यह आंकड़ा 1,39,628 यूनिट्स का रहा, जो पिछले साल जून में 1,83,885 यूनिट था। यह लगातार आठवां महीना है जब यात्री वाहनों की बिक्री में कमी दर्ज की गई। ये आंकड़े आने के बाद ऑटो इंडस्ट्री ने सरकार से इस गिरावट को रोकने और नौकरियों को सुरक्षित रखने के लिए ठोस नीतिगत उपाय करने का आग्रह भी किया।
29 जुलाई की रात को हुई घटना ने पूरे कॉरपोर्ट जगत को सकते में डाल दिया। दरअसल पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी नेता एसएम कृष्णा के दामाद और कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ बीती रात से लापता है, वजह बढता कर्ज। सिद्धार्थ ने 27 जुलाई को कंपनी के नाम एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होने कर्ज से परेशान होने की बात कही थी। सिद्धार्थ ने अपने खत में आयकर विभाग के एक पूर्व डीजी पर प्रताड़ना का आरोप भी लगाया है। पत्र में उन्होने लिखा था कि मैं एक प्राइवेट इक्विटी लेंडर पार्टनर का दबाव नहीं झेल पा रहा हूं। मैं लंबे समय से लड़ रहा था लेकिन आज मैं हार मानता हूं।