नई दिल्ली: China with Taliban: इन दिनों अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का शासन है, तालिबान पिछले कई दिनों से अपनी सरकार बनने और अपनी रूढि़वादी सोच को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है। वहीं, पंचशिर प्रांत में अफगान सेना अभी भी तालिबान के खिलाफ मजबूती से लड़ रही है। यह भी कहा जा सकता है कि तालिबान की ताकत चीन और पाकिस्तान की ताकत के कारण बढ़ रही है।
चीन की तालिबान को 3.1 करोड़ की मदद
बता दें, पाकिस्तान और चीन पहले दिन से ही तालिबान का समर्थन करता आ रहा है वहीं आज चीन ने अफगानिस्तान की आतंकी तालिबान सरकार के लिए अपना खजाना खोल दिया है। चीन के प्रधानमंत्री बीजिंग ने बुधवार को अफगानिस्तान को आर्थिक मदद देने का एलान किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को तालिबान की नई कार्यवाहक सरकार ‘इस्लामिक अमीरात’ का समर्थन करते हुए अफगानिस्तान को 31 मिलियन यानि 3.1 करोड़ अमरीकी डालर की सहायता की घोषणा कर दी है।
भोजन से लेकर कोरोना के टीके तक चीन करेगा तालिबान की मदद
रिपोर्ट के अनुसार, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ‘हुआ चुनयिंग’ ने कहा कि इस निर्णय की घोषणा अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान की गई थी। चीन के मुताबिक इस मदद का इस्तेमाल अफगान लोगों के लिए किया जाएगा। इस मदद में तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान को चीन लगभग 3.1 करोड़ डालर मूल्य का भोजन, सर्दियों के सामान, कोरोना के टीके और दवा उपलब्ध कराएगा। चीनी राज्य समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि ‘चीन पहले बैच में अफगानिस्तान को 30 लाख वैक्सीन खुराक देगा। रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि टीके कब वितरित किए जाने हैं।’
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विकास और स्थिरता को सुनिश्चित करने में मदद करनी चाहिए- चीन विदेश मंत्री
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बीजिंग में विदेश मंत्री की बैठक में बोलते हुए वांग ने यह भी कहा कि ‘चीन संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी किसी भी अन्य देश की तुलना में अफगान लोगों को आर्थिक और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए अधिक बाध्य हैं। वांग ने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए विकास और स्थिरता को सुनिश्चित करने में मदद करनी चाहिए।’
अफ़ग़ानिस्तान में आतंक की सरकार
तालिबान ने मंगलवार को ‘मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद’ के नेतृत्व वाली एक अंतरिम सरकार की घोषणा की, जिसमें प्रमुख भूमिकाएं विद्रोही समूह के रसूखदार सदस्यों को दी गई हैं। इसमें हक्कानी नेटवर्क के विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया गया है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ अमेरिकी डालर यानि लगभग 72 करोड़ रुपये का इनाम रखा हुआ है। जो अब तालिबान सरकार का हिस्सा है।