जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: 34 साल पुराने रोडरेज केस में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सजा हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को सजा सुनाई है। सिद्धू को या तो अब अरेस्ट किया जाएगा या वे खुद सरेंडर करेंगे। ये मामला पार्किंग विवाद का है जब एक बुजुर्ग को सिद्धू ने मुक्का मारा था और उसकी मौत हो गई थी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर एक हजार का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। सिद्धू को पटियाला जेल में रहना पड़ सकता है। ये मामला 1998 का है।
27 दिसंबर 1988 को पटियाला में एक विवाद हुआ था। यह विवाद पार्किंग को लेकर था। जब पीड़ित गुरनाम सिंह और दो अन्य बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे, सड़क पर जिप्सी देखकर सिद्धू से उसे हटाने को कहा। यहीं बहसबाजी शुरू हो गई। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई। जिसमें सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया।
सेशन कोर्ट से बरी, हाईकोर्ट ने दी सजा
मामला अदालत में पहुंचा। सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ नवजोत सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि, IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में सिद्धू को दोषी ठहरा दिया गया। इसमें उन्हें जेल की सजा नहीं हुई। सिद्धू को सिर्फ एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। मांग ती कि हाईकोर्ट की तरह सिद्धू को 304IPC के तहत कैद की सजा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार किया, जिस पर आज फैसला आया है और सिद्धू को एक साल की जेल हो गई है।