नई दिल्ली- Tribunals में नियुक्ति से जुड़े नियमों में बदलाव करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केन्द्र के फैसले को खारिज कर दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की खंडपीठ ने वित्त कानून, 2017 में सरकार की तरफ से किए गए संशोधनों को खारिज कर दिया।
पीठ के मुताबिक ये संसोधन संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ हैं। और कहा है कि Tribunals की बहाली के लिए नए नियम बनाने होंगे। संविधान पीठ ने कानून मंत्रालय को मामले का अध्य्यन करने और रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।
आपको बता दें कि इस संशोधन कानून को मनी बिल के तौर पर पारित किया गया था जिसके तहत विभिन्न Tribunals के स्ट्रक्चर और काम काज में बदलाव किया गया था। इसके अलावा अदालत ने बड़ी पीठ के पास इस मुद्दे पर विचार के लिए भेज दिया है कि क्या संशोधनों को मनी बिल के तौर पर पारित किया जा सकता है?
आपको बता दें कि 1 फरवरी, 2017 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए 19 विशेष Tribunals में संशोधन का प्रस्ताव किया था। ये संशोधन प्रस्ताव मनी बिल के रूप में सामने आया था और नियमों के मुताबिक मनी बिल पर केवल लोकसभा को संशोधन का अधिकार होता है।
जिसके खिलाफ कई संसद सदस्यों ने आवाज उठाई थी कि इससे कई Tribunals को कमजोर किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस केस में याचिकाकर्ता रहे कांग्रेस नेता जयराम रमेश सामने आए और केन्द्र सरकार को जमकर घेरा। उन्होने कहा कि पांच जजों की बेंच ने जो फैसला सुनाया है वो लोकतंत्र की जीत है।