जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दोषी करार दिया है। मामला कश्मीर घाटी में आतंकियों की फंडिंग से जुड़ा है। अदालत ने मलिक से उसकी वित्तीय स्थिति का लेखा-जोखा भी मांगा है और NIA से भी रिपोर्ट तलब की है।
25 मई को यासीन मलिक की सजा तय होगी। मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप था। मलिक ने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था।
सुनवाई की आखिरी तारीख पर मलिक ने अदालत को बताया कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने), व 20 (आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।
क़रीब 58 साल के यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जेकेएलएफ़) के नेता हैं। यासीन मलिक पिछले 32 साल से भारत विरोधी आंदोलन में सक्रिय हैं। उन्हें 1984 में पहली बार कैद किया गया था।