नई दिल्ली: Four Pillars Of BJP: बीजेपी ने दो सालों में अपने बहुत से दिग्गज़ नेताओं को खोया है, या कहा जाये कि देश ने बहुत से अच्छे नेताओं को खो दिया है जिनके वजह से राजनीति के मायने थे, सुषमा स्वराज, मनोहर पर्रिकर, अरुण जेटली और अब कल्याण सिंह ये सब ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने समय मे लोकप्रियता के शिखर को छुआ है। इन सभी नेताओं ने देश की सफलता और प्रगति के लिए काम करते हुए अंतिम सांस ली हैं।
स्वर्गीय सुषमा स्वराज- बेस्ट लव राजनेता
स्वर्गीय सुषमा स्वराज एक ऐसी दिग्गज़ महिल नेता जिन्हें सारी दुनिया उनकी ईमानदारी के लिए जानी जाती है। सुषमा ने अपनी पूरी ईमानदारी से देश के हित में काम किया था, उन्होंने अपना सारा जीवन देश को उच्चाईओ तक लाने में समर्पित कर दिया था, स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने बेहद ही काम उम्र से खुद को भारत के लिए समर्पित कर दिया था, वे अपने राजनैतिक कार्यकाल में मेहज 25 साल की उम्र में ही कैबिनेट मंत्री बन गयी थी जिसके बाद वे सात बार MP ,तीन बार MLA भी बानी ।
सुषमा के बुलंद हौसलों और उनके ईमानदार कार्यकाल की वजह से दिल्ली की जनता ने अपनी पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा को दिल्ली के हित के लिए चुना। आज भी सारा देश उन्हें याद कर उनकी मेहनत और उनके काम की सरहाना करता है। उनके ईमानदार व्यक्तित्व के चलते अमेरिकन वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सुषमा को बेस्ट लव राजनेता ( best love politician) का ख़िताब भी दिया था। सुषमा ने 1975 में बीजेपी ज्वाइन की देश को समर्पित जिंदगी में सुषमा इतनी आगे आ गयी कि वे बाद में भाजपा की राष्ट्रीय नेता बना गयी। 2003 में हेल्थ मिन्स्टर बन कर सुषमा ने 6 बड़े AIIMS अस्पताल के निर्माण कार्य को अप्प्रोव कराया।
मोदी के सत्ता में आने बाद दोनों की जुगल बंदी ने भारत के हित में काम करते हुए 2014 से 2019 तक एक्सटर्नल मिन्स्टर बन कर भारत की धरोवर संभाली। लेकिन किडनी फलिएर और हार्ट अटैक के चलते वे 6 अगस्त 2019 को इस दुनिया को अलविदा केह गयी और जाने से पहले पीएम मोदी को कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए ट्वीटर के जरिए अपना आखिरी धन्यवाद कह गयी।
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Four Pillars Of BJP: सादगी की मिस्साल स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर
भारत राजनीती की सादगी और मजबूती की मिस्साल स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर। मनोहर पर्रिकर को हमेशा से ही अपने हिसाब से काम करना पसंद था। 1980 में जब बीजेपी की नीव रखी गयी तब मनोहर ने सदस्य के तोर पर अपनी राजनीती के सफर में अपना पहला कदम रखा था। उनकी सादगी और काम को नज़र में रखते हुए पार्टी ने उन्हें 1994 में गोवा से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया ,जिसमें उन्हें अपनी पहली जीत मिली। लेकिन बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन न होने के कारण पर्रिकर ने विपक्षी नेता की भूमिका निभाई।
हालांकि 2000 में बीजेपी ने पहली बार गोवा में अपनी सरकार बनायीं जिसमें मनोहर पर्रिकर को गोवा का चीफ मिन्स्टर घोषित किया गया। गोवा के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पर्रिकर अपनी स्कूटर से ही अपने दफ्तर जाया करते थे। पर्रिकर बीजेपी का एक मजबूत स्तम्भ थे। 2014 में बीजेपी की बेहतरीन जीत के बाद पर्रिकर को भारत का डिफेन्स मिन्स्टर बना दिया गया। 2018 में पर्रिकर को अपने पैंक्रिअटिक कैंसर के बारे में पता चला। इलाज के बावजूद पर्रिकर का स्वस्थ ठीक नहीं हो पाया और वे 17 मार्च 2019 को इस दुनिया को अलविदा कह गए जिसके साथ ही भारत की राजनीती का एक बेदाग सादगी रहने वाला नेता भी कही दूर चला गया।
राजनीती में सबसे ज्यादा चर्चओं में रहने वाले स्वर्गीय अरुण जेटली
स्वर्गीय अरुण जेटली बीजेपी का वो चेहरा जो हमेशा ही भारत की राजनीती में सबसे ज्यादा चर्चो में रहा हो। अरुण ने शुरू ही भारत की राजनैतिक गलियों में अपना मुकाम सब से ऊपर रखा है। साल 1975 में आपातकाल के विरोध करने के जुल्म में उन्हें उनीस महीनों के लिए नज़रबंद भी किया गया। नज़रबंद से बहार आने के बाद उन्होंने जन संग पार्टी ज्वाइन कर ली। साल 1977 में अरुण जेटली को ABVP का अध्यक्ष और ऑल इंडिया सेक्रेटरी भी बनाया गया।
जिसके बाद उन्हें 1980 में बीजेपी का युवा मोर्चा का अध्यक्ष और दिल्ली इकाई का सेक्रेटरी बनाया गया। जेटली ने उन्नीस सौ सतासी में वकालत शुरू की और सुप्रीम कोर्ट से लेकर अन्य कई कोर्ट में प्रैक्टिस की। जिसके बाद 1989 में जेटली को वी पी सिंह सरकार द्वारा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया, उन्होंने बोफोर्स कांड का खुलासा किया जिसके बाद ही जेटली को 1990 में दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ वकील घोषित किया। जितनी ने 1991 में बीजेपी में शामिल होने साथ ही बीजेपी के प्रवक्ता बन गए। जेटली ने अपने राजनैतिक सफर में काफी उत्तार चढ़ाव देखे। उन्होंने राम जेट मालानी के इस्तीफे के बाद साल 2000 में कानून ,नान्य और कंपनी मालों के मंत्रालय को भी संभाला।
2004 में जेटली जी को बीजेपी का महासचिव बनाया गया। राजनैतिक जगत में लम्बे सफर के बाद साल 2014 में पीएम मोदी द्वारा उन्हें वित्त मंत्री चुना गया। लम्बे समय तक राजनीती में अपना दबदबा रखने वाले जेटली को साल 2018 में किडनी की परेशानी के चलते AIIMS अस्पताल में किडनी ट्रांप्लांट किया गया। लेकिन लम्बी बीमारी से लड़ते-लड़ते जेटली जी इस कदर थक गए थे कि अंतिम साँस लेने को मजबूर हो गए। हमेशा चर्चाओं में रहने वाले जेटली आखिरी बार चर्चाओं में थे। साँस से साँस जोड़ कर रकने वाले जितनी ने दिल्ली की AIIMS में 24 अगस्त 2019 को आखरी साँस ली।
सटीक और तीखे बोल की वजह से पहचान बनाने वाले स्वर्गीय कल्याण सिंह
राजनीती में स्वर्गीय कल्याण सिंह का कई दिग्गज़ नेताओं से ऊपर था। राजनीती में उनका सफर साल 1967 में शुरू हुआ। साल 1991 में बीजेपी की पहली बार यूपी में सरकार बानी। बीजेपी की जीत का करण थे कल्याण सिंह। उन्होंने साल 1967 में पहली बार जनसंघ के टिकट पर अतरौली से चुनाव जीत कर विधानसभा में अपनी जगह बनाई। उन्होंने अपने सियासी सफर में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कल्याण सिंह ने 1980 कांग्रेस की जीत के चलते हार का मुँह देखना पड़ा था। लेकिन उन्होंने हारना कभी नहीं सीखा था जिसके चलते साल 1985 में उन्होंने फिर से विधानसभा में वापसी की।
यूपी में जब मंडल-कमंडल की राजनीती शुरू हुई तो 1991 में वे बीजेपी के बड़े नेता के तोर उभर आये, जिसके बाद वे यूपी के सीएम बने। वे पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने परीक्षा के दौरान नक़ल करने वालो को जेल का रुख कराया था। हालांकि साल 1992 में जब बाबरी मस्जिद गिराई गयी तो उन्होंने इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उनकी छवि एक हिन्दू ह्रदय सम्राट के तौर पर निखार कर आयी। कल्याण के सटीक और तीखे बोल की वजह से अक्सर पार्टी के बड़े नेताओं और पार्टी में नोकझोक भी हो जाया करती थी। लेकिन अपने सटीक व्यवहार के कारण उन्होंने राजनीति में अपना मुकाम भी हासिल किया था।
कई वर्षों तक राजनीतिक जगत में उतार-चढ़ाव देखने के बाद वे 2014 में एक बार फिर भाजपा में घर वापसी की और उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया।लोगों के कल्याण के लिए जीने वाले कल्याण ने अपनी बीमारी के कारण 21 अगस्त 2021 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया और 23 तारीख को पंचतत्व में विलीन हो गए। स्वर्गीय कल्याण सिंह ने राम मंदिर की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
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