नई दिल्ली : आधुनिकता के चकाचौंध से उपजी शहरी व्यवस्था को बहाल करने के लिए मनुष्य ने प्रकृति को तो नष्ट कर दिया, लेकिन इसी प्रकृति के आभाव में मनुष्य ऐसी जगहों की सैर करता रहता है, जहाँ प्राकृतिक सुंदरता कूट-कूट कर भरी हुई है। सवाल ये है कि अभी जहाँ प्रकृति अपनी मूल अवस्था बरकरार बनाये हुई, कल अगर वहां भी मनुष्य का भौतिकवाद हावी हो जाये और वहां की प्रकृति भी छिन्न-भिन्न हो जाये, तो फिर हम प्राकृतिक सुंदरता को निहारने कहा जायेंगे ? ऐसे में जरुरत है प्रकृति को संरक्षित करने की, जिससे पृथ्वी पर मानव जीवन बना रहे। विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day 2020) मनाये जाने का मकसद भी यही है।
World Environment Day 2020 : प्रकृति और मानव जीवन का गहरा संबंध
क्या प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव है ? बिलकुल नहीं, लेकिन भौतिक चाह ने हमारी काहों पर ऐसी पट्टी बाँधी कि हमने प्रकृति को नष्ट करने में जरा भी गुरेज नहीं किया और आज उसी प्रकृति का हम अभाव महसूस कर रहे हैं। कल तक जो प्रकृति हमारे मन को हल्का करने का काम करती थी आज उस प्रकृति के अभाव में हम अवसाद में डूबते जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि हमें प्रकृति की जरुरत महसूस नहीं होती, लेकिन हम मानव जनित इस समस्या से हमेशा आँख चुराकर निकल जाते हैं।
प्रकृति बिना कैसा होगा जीवन ?
प्रकृति का मतलब महज़ पेड़-पौधों से नहीं है, बल्कि नदी, तालाब, झरने, पहाड़, ये सब प्रकृति के हिस्से हैं और इन सबका हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है। अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से प्रदुषण की जो समस्या उत्पन्न हुई है, उससे हम सब वाकिफ हैं। इसी तरह नदियों के प्रदूषित होने से भूमिगत जल के स्तर में कमी से भी हम अनजान नहीं है। लेकिन समस्या ये है कि सब कुछ जानते हुए भी हम प्रकृति को नष्ट करने पर तुले हैं, इस बात से बेफिक्र कि प्रकृति का विनाश खुद का विनाश है।
पर्यावरण की रक्षा के लिए करें ये काम
धरती पर पर्यावरण अपने मूल स्वरुप में बना रहे, इसके लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर, प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर, ऊर्जा के अन्य स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाकर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर और बारिश के पानी को संचय कर हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।